देहरादून। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के बाद हालात सामान्य नहीं हो पाने के कारण सबसे बड़ा झटका पर्यटन उद्योग को लगा है। पर्यटक स्थलों में छाई वीरानी के कारण आज हजारों होटल बंद पड़े हैं और लाखों लोग बेरोजगार बैठने को मजबूर हो गए हैं। सरकार को भी पर्यटन उद्योग से कर के रूप में होने वाली करोड़ों रुपये की आय से हाथ धोना पड़ रहा है।
उत्तरकाशी जिले में इस समय भी सड़कें ध्वस्त हैं और पर्यटक स्थल एवं ट्रैक रूट पहुंच से दूर हैं। परिणाम स्वरूप गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित अधिकांश वादियां वीरान पड़ी हैं। इन दिनों गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में पर्यटकों की खूब गहमागमी रहती थी। हर्षिल, दयारा बुग्याल, डोडीताल, बेलक, गोमुख व तपोवन आदि में पर्यटन की रौनक देखते ही बनती थी। गंगा घाटी में रैथल, बार्सू, धराली, मुखबा, गणेशपुर, नैताला, झाला जैसे गांवों की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर खींचती थी। यही स्थिति यमुना घाटी के गंगनानी, राजतर, स्यानाचट्टी, हनुमाचट्टी, जानकीचट्टी व खरसाली जैसे गांवों में भी रहती थी। लेकिन इस बार हालात ठीक उलट हैं। गंगा व यमुना घाटी के पर्यटक गांव व ट्रैक रूट पूरी तरह वीरान नजर आ रहे हैं। हालांकि बीते अगस्त से ही पर्यटकों की ओर से यहां आने को लेकर पूछताछ शुरू हो गई थी। पर्यटकों ने टुअर ऑपरेटर्स को बुकिंग के लिए मनाना शुरू कर दिया था। इनमें अधिकांश ट्रैकिंग व रोमांच के शौकीन पर्यटक शामिल थे। लेकिन गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे तथा अन्य सड़कें इस कदर ध्वस्त हैं कि पर्यटकों को लाना खतरे से खाली नहीं है।
उत्तरकाशी होटल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी ने बताया कि देश विदेश से पर्यटक लगातार स्थानीय टुअर ऑपरेटर्स से संपर्क कर रहे हैं। प्रशासन को सड़कें व रास्ते दुरुस्त करने के साथ ही जल्द ही बुनियादी सुविधाएं बहाल करनी चाहिए ताकि यहां फिर से पर्यटकों की आवाजाही शुरू की जा सके।
उत्तरकाशी के जिला पर्यटन अधिकारी केएस नेगी कहते हैं कि जिले में अभी हालात सामान्य नहीं हुए हैं। यहां पर्यटकों की आमद से परेशानी और बढ़ सकती है। सड़कें व रास्ते दुरुस्त होने पर ही पर्यटकों को यहां घूमने के लिए बुलाया जा सकता है।
राज्य के चमोली जिले में भी पर्यटन कारोबारियों की यही हालत है। यहां भी हाईवे समेत अन्य अधिकांश सड़कें बंद पड़ी हैं। धार्मिक यात्राकाल के दौरान विभिन्न व्यवसाय कर अपने परिवार की गुजर-बसर करने वाले हजारों लोग बेरोजगार बैठे हैं। गत जून माह में आई प्राकृतिक आपदा से ऋषिकेश-बदरीनाथ, कर्णप्रयाग-नैनीताल समेत अन्य हाईवे पूरी तरह से बाधित हो गए। लामबगड़ में तीन किलोमीटर हाईवे पूरी तरह ध्वस्त होने के बाद बदरीनाथ धाम की यात्रा पिछले ढाई महीने से बंद पड़ी है। गोविंदघाट में हेमकुंड साहिब जाने वाला पुल समेत पूरा पैदल मार्ग जगह-जगह से ध्वस्त होने के बाद यहां की यात्रा भी बंद है। इसका सीधा असर यहां के पर्यटन व्यवसाय पर पड़ रहा है।
यात्राकाल के दौरान गौचर से लेकर बदरीनाथ तक प्रतिवर्ष छ: माह तक हजारों लोग ढाबे, होटल व अन्य व्यवसाय के जरिये आजीविका चलाते हैं। अधिकांश व्यवसाई ऐसे हैं, जो बैंक से ऋण लेकर यात्रा मार्ग पर अपना व्यवसाय करते हैं। यात्रा बंद होने के बाद इनका व्यवसाय भी बंद हो गया है। लिहाजा बेरोजगार हुए इन व्यवसाइयों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है।
इस समय चमोली जिले में 998 होटल, 320 ढाबे और 700 के करीब लाज बंद पड़े हैं और इनमें काम करने वाले लगभग 9000 लोग बेरोजगार हुए हैं। इसके अतिरिक्त धार्मिक यात्रा के दौरान यहां 2000 के करीब लोग रेहड़ी, फड़ी, फेरी, ठेली के द्वारा भी रोजगार पाते थे। वे भी अब खाली बैठे हैं।