रिपोर्ट के मुताबिक गरीबों की संख्या निकालने वाला यह सूचकांक एक समुचित-सटीक तस्वीर पेश करता है, जोकि केवल आय के मानकों से संभव नहीं हो सकती। इस सूचकांक के मुताबिक दुनिया के दस सबसे गरीब देश तो सब-सहारा अफ्रीका में हैं, लेकिन अगर किसी एक देश में कुल संख्या की बात की जाए तो दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब दक्षिण एशियाई देशों (भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश) में रहते हैं।
भारत सरकार ने देश में गरीबों की संख्या आंकने के लिए कई तरीके अपनाए हैं और सरकार ये मानती है कि देश की एक-तिहाई जनता गरीबी रेखा के नीचे रहती है।
यूएनडीपी की इस रिपोर्ट में मूल रूप से मानव विकास सूचकांक निकाला जाता ह,ै जो मानव विकास के तीन प्रमुख आयामों- शिक्षा, स्वास्थ्य और आय में हुई प्रगति के आधार पर देशों को श्रेणीबद्ध करता है।
यूएनडीपी में भारत की निदेशक केटलिन वीसेन के मुताबिक, ”हमें भारत में औद्योगिक विकास के कार्यक्रमों पर व्यापक अध्ययन कर ये सुनिश्चित करना होगा कि उनसे सतत विकास होता रहे और वो गरीब लोगों के लिए भी हो।” रिपोर्ट में भारत सरकार की 100 दिनों का रोजगार देने वाली मनरेगा की सराहना की है।
भारत में हैं सबसे ज्यादा गरीब
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी की गई मानव विकास रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं। भारत में 61 करोड़ लोग गरीब हैं, जोकि देश की आधी आबादी से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में गरीबी का मूल्यांकन करने के लिए आय के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर को भी तरजीह दी गई।
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