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भरमौर (चंबा)। बाजार में ऊन की बढ़ती मांग से चंबा जिला के भेड़ पालकों को कुछ राहत मिली है। पिछले कई वर्षों से भेड़ पालकों को ऊन के उचित दाम नहीं मिल पा रहे थे और ऊन बेचने के लिए वे हिमाचल प्रदेश वूल फैडरेशन पर निर्भर होकर रह गए थे, जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ऊन की खरीद की जाती है। भेड़ पालक वूल फेडरेशन की कीमत से भले ही संतुष्ट न हों, लेकिन बिना ऊन मंडी के उनके पास इसके सिवाए कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। लेकिन इस बार निजी क्षेत्र के व्यापारी वूल फैडरेशन से 25 प्रतिशत तक अधिक मूल्य पर ऊन खरीद रहे हैं, जिससे भेड़ पालकों ने राहत की सांस ली है।
वूल फेडरेशन ने इस बार ऊन का मूल्य साठ रुपये 50 पैसे प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है, लेकिन निजी क्षेत्र के ठेकेदार एवं कंपनियां 80 रुपये किलो के हिसाब से ऊन खरीद रहे हैं। भेड़ों से ऊन उतारने के लिए वूल फेडरेशन की ओर से नियुक्त ज्ञान चंद ने बताया कि फेडरेशन से उपलब्ध करवाई गई मशीनों से अभी तक करीब 20 हजार भेड़ों से ऊन उतारी गई है, लेकिन इस बार फेडरेशन को बहुत कम लोग ऊन बेच रहे हैं। इस बार बाहरी राज्यों के व्यापारी ऊन खरीदने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और ऊन के अच्छे दाम भी दे रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार अभी तक करीब 20 हजार भेड़ों से लगभग डेढ़ टन ऊन उतारी गई है, जिसमें से करीब एक टन निजी क्षेत्र के व्यापारियों ने खरीदी है। अभी भी हजारों भेड़ों की ऊन उतारी जानी बाकी है।
भेड़ पालक धोगरू राम, मदन व दिलवर का कहना है कि व्यापारी जो मूल्य उन्हें दे रहे हैं,वास्तव में वो भी कम ही है। मगर यह वूल फेडरेशन के निर्धारित मूल्य से कहीं अधिक हैं। इसलिए अधिकांश भेड़ पालक उन्हें ही ऊन बेच रहे हैं। इस बार निकाली गई करीब डेढ़ टन ऊन में से एक टन निजी क्षेत्र में बिक्री की गई है। जबकि दो हजार भेड़ों की ऊन उतारी जानी अभी बाकी है।