कांगड़ा। प्रदेश में पंजाबी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्कूलों में नियुक्त पंजाबी शिक्षकों को पिछले पांच माह से वेतन नहीं मिल रहा है। हैरानी की बात यह है कि सरकार ने तो इन शिक्षकों को चाहे भुला ही दिया है, लेकिन अन्य शिक्षक संगठनों ने भी अपनी इस बिरादरी की पीड़ा को अपना स्वर नहीं दिया। पांच माह से वेतन नहीं मिलने के कारण पंजाबी शिक्षकों को जीवन- यापन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्व भाजपा सरकार के समय वर्ष 2010 में प्रदेश के चुनिंदा स्कूलों में पंजाबी शिक्षा को शुरू किया गया था और उनमें आरएंडपी रुल्ज के तहत पंजाबी अध्यापकों की नियुक्तियां की गई थी। अध्यापकों का कहना है कि छह वर्ष तक तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन जून 2016 के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें वेतन देना बंद कर दिया, जिस कारण उन्हें भारी मानसिक व आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि ये शिक्षाक बिना वेतन के स्कूलों में अपनी सेवाएं जारी रखे हुए हैं, लेकिन सरकार के प्रति उनमें भारी रोष है। कांगड़ा जिला के करीब 18 स्कूलों में 18 पंजाबी अध्यापक सेवाएं दे रहे हैं।
पंजाबी अध्यापक संघ की प्रदेश अध्यक्ष अनुराधा शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने करीब छह साल से कार्यरत पंजाबी अध्यापकों को भी टेट पास करने का आदेश जारी कर दिया है, जिसके लिए बीएड का होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि कार्यरत पंजाबी अध्यापकों में ज्यादातर एमए पंजाबी हैं या फिर पंजाबी में ज्ञानी पास हैं। कुछेक अध्यापकों ने ही बीएड कर रखी है। पंजाबी अध्यापकों ने कहा कि छह वर्ष बाद उनके लिए नए नियम तय करना अन्यायपूर्ण है।
अनुराधा शर्मा ने कहा कि वर्ष 2010 में पंजाबी अध्यापक आरएंडपी रूल्ज के तहत नियुक्त हुए थे, उनके लिए टेट नहीं होना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि पंजाबी अध्यापकों को तुरंत बकाया वेतन दिया जाए और टेट की शर्त को हटाया जाए।