कुल्लू। कुल्लू जिला के विभिन्न क्षेत्रों में भीषण ओलावृष्टि ने किसानों- बागवानों की कमर तोड़ कर रख दी है। ओलावृष्टि के कहर से एंटी हेलनेट भी तहस नहस हो गए। बिना एंटी हेलनेट वाले बागीचों में सेब और गुठलीदार फल पौधों की टहनियां टूट गईं। कई जगह तो पूरे पेड़ जमीन पर गिर गए। गत 26 मार्च को हुई इस ओलावृष्टि से खेतों में खड़ी फसलों का तो नामोनिशान तक नहीं बचा।
उद्यान विभाग ने ओलावृष्टि और हिमपात से सर्वाधिक प्रभावित आनी और निरमंड का सर्वेक्षण करवाया है और पाया कि जिला के आनी और निरमंड के 94 किसानों- बागवानों को 82.5 लाख का नुकसान हुआ है। सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है। शेष क्षेत्रों में हुए नुकसान का जायजा लिया जा रहा है।
निरमंड के चायल, बागा सराहन, आनी के बुच्छैर, टकरासी पंचायत के बागवानों और निरमंड के सगोफा, जुआगी, टिंगर, बागा सराहन में और आनी के बुच्छैर, टकरासी, ठारवी, परकेड, चौकड़ी, कोलथा, दारन गांवों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। यहां पर बागीचों में लगाए एंटी हेलनेट की जालियां फट गईं और सेब के पौधों की टहनियां टूट गईं। कुछ बागवानों के खेत में एंटी हेलनेट चिंदी चिंदी हो गए। एंटी हेलनेट को टिकाने के लिए लगाए गए बांस के डंडे भी टूट गए हैं।
बागवान शेर सिंह, संतोष कुमार, डोला राम, तेज राम, लीला प्रसाद, श्याम दास, डोला राम, हीरूराम, आदि ने बताया कि ओलों के कारण उनके सेब के पौधे भी टूट गए हैं। बांस एक भी नहीं बच पाया। ऐसे में साल भर कैसे अपना गुजारा करेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके नुकसान का उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
आनी उपमंडल के चवाई और जाबन वैली में भी ओलावृष्टि से कई जगहों पर एंटी हेलनेट के फटने और बांस टूटने की सूचना मिली है। कुछ जगहों सेब की टहनियां भी टूट गईं। इसका आकलन किया जा रहा है।
उद्यान विभाग आनी के विषय विशेषज्ञ उत्तम पाराशर ने कहा कि बागवानों को हिमपात और ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी है। कुल्लू के एडीएम प्रशांत सरकेक ने कहा कि हिमपात और ओलावृष्टि से आनी और निरमंड के बागवानों को 82.5 लाख रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है। इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है।