शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की, लेकिन पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती आश्चर्यजनक रूप से हार गए। मतगणना के अंतिम दौर में पहुंचने तक भाजपा कुल 68 सीटों में से 42 सीटें जीत चुकी थीं, जबकि कांग्रेस मात्र 22 सीटों पर ही सिमट गई। चार सीटें अन्यों के हिस्से में जाती दिख रही हैं, जिसमें तीन निर्दलीय और एक सीट पर सीपीआई- एम का कब्जा हुआ है।
हिमाचल प्रदेश में करीब 25 वर्षों बाद सीपीआई-एम विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुई है। सीपीआई-एम के पूर्व राज्य सचिव राकेश सिंघा ही पूर्व में शिमला शहरी सीट से जीते थे, जबकि इस बार वे ठियोग से जीते हैं। ठियोग की यह सीट कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स के चुनाव नहीं लड़ने से खाली हुई थी।
हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब 30 वर्षों से कांग्रेस और भाजपा बारी- बारी सत्ता पर काबिज होती रही हैं। भाजपा ने यहां एक बार फिर कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। इसे यह भी कहा जा सकता है कि भाजपा ने सत्ता में अपनी बारी संभाल ली है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव में एक बड़ी खबर यह रही कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इन दोनों की पराजय को पार्टी की अंदरूनी राजनीति का परिणाम माना जा रहा है। मतदान के बाद भाजपा का ही एक धड़ा काफी मुखरता से इन दोनों की हार की भविष्यवाणी कर रहा था।
भाजपा हाईकमान से लेकर प्रदेश में भी पार्टी का एक धड़ा केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रयासरत रहा। इसी कारण राज्य में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को हाशिए पर धकेलने के लिए काफी मेहनत की गई और उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली। धूमल व सत्ती के हारने से भाजपा के एक बड़े भाग में निराशा देखने को मिल रही है। संगठन में जेपी नड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कसरत शुरू हो गई है। वैसे वरिष्ठ भाजपा नेता जयराम ठाकुर का नाम भी इस पद के लिए लिया जा रहा है।