शिमला। हिमाचल प्रदेश भाजपा में हुए ताजा घटनाक्रम के अनुसार बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल को पार्टी का प्रदेश महामंत्री बनाकर उन्हें मंत्री पद से हटाने के संकेत दे दिए गए, लेकिन विरोधी शांता खेमा आक्रामक रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री बदलने से नीचे कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। शांता कैंप की ओर से पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवं रोहड़ू के विधायक खुशीराम बालनाटाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से मांग कर डाली कि विधानसभा चुनाव से पूर्व नेतृत्व परिवर्तन कर किसी अन्य नेता को सरकार की कमान सौंपी जाए ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को पुन: सत्ता में लाया जा सके।
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खुशीराम बालनाटाह ने शिमला नगर निगम में सीपीआई (एम) की जीत के बाद नितिन गडकरी को भेजे गए एक पत्र की प्रतियां भी बुधवार को मीडिया में वितरित कीं और कहा कि भ्रष्टाचार, क्षेत्रवाद और परिवारवाद के आरोपों के चलते यहां भाजपा सरकार तेजी से जनता का विश्वास खोती जा रही है। यदि नेतृत्व परिवर्तन कर स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो चुनाव में पार्टी की इसी तरह दुर्गत हो सकती है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे पत्र में भी बालनाटाह ने कहा है कि शिमला नगर निगम के चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को नकार दिया और प्रमुख सीटों पर सीपीआई(एम) को भारी बहुमत से विजयी बनाया। उन्होंने कहा कि इस नगर निगम के क्षेत्र में शिमला शहरी के अतिरिक्त शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्रों के भाग भी पड़ते हंै। इन सभी जगह सीपीआई (एम) को बढ़त मिली है, जिससे मतदाताओं के मूड का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के खास समर्थक खुशी राम बालनाटाह ने पत्र में कहा कि इस समय सरकार में भाजपा के विधायक और मंत्री घुटन महसूस कर रहे हैं और चुनाव में जनता के बीच जाने से घबरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मंत्रियों और विधायकों ने गत नवंबर माह में भी हाईकमान को बताया था कि प्रदेश में पार्टी की स्थिति ठीक नहीं चल रही है। यहीं नहीं पिछले दिनों यहां पूर्व भाजपा सांसद महेश्वर सिंह के नेतृत्व में असंतुष्ट भाजपाइयों ने पार्टी छोड़ कर हिमाचल लोक हित (हिलोपा) का गठन कर दिया, लेकिन उससे भी हाईकमान ने कोई सबक नहीं सीखा।
उधर, विरोधियों के लगातार निशाने पर रहे धूमल समर्थक स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल को मंत्री पद छोड़ देने के लिए कह दिया गया है। इसके बदले उन्हें संगठन में प्रदेश महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बिंदल एक-दो दिन में मंत्री पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। लेकिन इस सब के बावजूद विरोधी शांता खेमा आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए है।