कुल्लू। कुल्लू की मंडियों में सेब ही नहीं बेमौसमी सब्जियों के दामों में भी भारी गिरावट आई है, जिससे किसानों- बागवानों में भारी मायूसी है। किसानों का बढ़िया किस्म का टमाटर भी मुश्किल से पांच रुपये किलो बिक रहा है। मार्किट की हालत को देखते हुए बागवानों ने जहां गोल्डन, रेड गोल्डन आदि किस्मों का सेब तोड़ना ही बंद कर दिया है, वहीं टमाटर भी अब खेतों में ही सड़ रहा है।
उच्च गुणवत्ता के रॉयल सेब के दाम गिरने के बाद बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जब रॉयल को ही सही दाम नहीं मिल रहे तो गोल्डन, रेड गोल्डन सहित अन्य किस्मों की क्या बिसात। बागवान इन किस्मों को तोड़ने का जोखिम ही मोल नहीं ले पा रहे। जानकारों के अनुसार यदि यह सेब बागीचों में ही गल सड़ जाता है तो इससे पौधों में कई तरह की बीमारियां फैलने का भी खतरा है।
कुल्लू घाटी के बागवान सुरेश कुमार, चमन लाल ठाकुर, दिनेश, राजेश ठाकुर, बलवीर सिंह और नानक चंद ने कहा कि यह पहला मौका जब सेब सीजन के चरम पर होने के बीच ही ऐसी स्थिति बनी है। सेब सीजन के आखिरी दौर में अक्सर दाम गिर जाते हैं, लेकिन इस बार तो लगातार सेब के दाम गिरे हैं। छोटा सेब 25 से 30 रुपये किलो प्रति किलो तक बिक रहा है।
कुल्लू सदर फल एवं सब्जी उत्पादक संगठन के महासचिव सुनील राणा का कहना है कि इस बार बागवानों को भारी निराशा हाथ लगी है। सेब सीजन में ही बागवान अपने साल भर का खर्चा निकालते हैं। बागवानों को सेब के बेहतर दाम मिले, इसके लिए कोई ठोस नीति बननी चाहिए।
कौड़ियों के भाव बिक रहा टमाटरः कुल्लू जिले की सब्जी मंडियों में टमाटर भी इन दिनों कौड़ियों के भाव बिक रहा है। लाल सुर्ख टमाटर भी मात्र पांच रुपये किलो तक बिक रहा है। किसानों की टमाटर पर मेहनत भी नहीं निकल पा रही है।
इस साल टमाटर सीजन की शुरूआत से ही किसानों को फसल का अच्छा भाव नहीं मिल पाया है। शुरूआत में टमाटर मात्र 10 से 12 रुपये प्रति किलो बिकता रहा, लेकिन अब सीजन के रफ्तार पकड़ते ही इसके दाम धड़ाम हो गए।
घाटी में जुलाई और अगस्त माह में टमाटर का सीजन यौवन पर रहता है। इस वर्ष जुलाई में टमाटर 12 रुपये प्रति किलो तक बिका, लेकिन अगस्त में पांच रुपये में सिमटकर रह गया। ऐसे में किसानों को मेहनताना और भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो गया है। नतीजतन किसान टमाटर को खेतों में ही छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
कुल्लू और स्नोअर वैली आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष खुशाल ठाकुर का कहना है कि महाराष्ट्र के टमाटर ने सब्जी मंडियों में दस्तक दे दी है। इसी वजह से दामों में लगातार गिरावट आ रही है।