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देहरादून (पौड़ी)। यहां कल्जीखाल प्रखंड के मुंडनेश्वर मंदिर में भी अब पशुबलि प्रथा बंद हो गई है। ग्रामीणों ने बलि के लिए लाए गए भैंसे को गांव की परिक्रमा कराने के बाद प्रशासन को सौंप दिया। धार्मिक मेले के पहले दिन मंदिर परिसर में बकरों की भी बलि नहीं दी गई।
उल्लेखनीय है कि मुंडनेश्वर मंदिर में मेले के दौरान पशुबलि की प्रथा रही है। पहले यहां नर भैसों की बलि दी जाती थी। फिर कुछ वर्षों से यहां एक ‘बागी’ और कुछ बकरों की ही बलि दी जाने लगी थी। प्रशासन के अनुसार इस बार मेेले में पटवालस्यूं के रणजीत सिंह और नरेंद्र सिंह बिष्ट के परिवार से ध्वजा और भैंसा चढ़ाने की मनौती मांगी गई थी। बाद में उन्होंने भैंसे को गांव की परिक्रमा कराने के बाद प्रशासन को सौंप दिया। मेले के पहले दिन प्रशासन ने बकरों की बलि भी नहीं होने दी। एसडीएम ज्योति खैरवाल, पुलिस उपाधीक्षक वीके वर्मा, नायब तहसीलदार हरिमोहन खंडूरी समेत कई लोग सुबह से मुंडनेश्वर मंदिर परिसर में मौजूद थे। छोटा खैरालिंग बड़कोट के लोगों ने बताया कि उनके क्षेत्र से दो भैंसों की बलि देने की मनौती मानी गई है। इन भैंसों को भी वे प्रशासन को सौंप देंगे।
उल्लेखनीय है कि लोगों की जागरुकता के कारण पिछले कुछ वर्षों से यहां मंदिरों में पशुबलि की प्रथा तेजी से घट रही है और इस कार्य में लोगों को प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।