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मंडियों में क्यों लुढ़के सेब के दाम? क्या है खेल?

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानों को भी अब किसानों के देशव्यापी आंदोलन का मतलब समझ में आने लगा है। राज्य के ऊपरी क्षेत्रों से उच्च गुणवत्ता वाले सेब का तुड़ान आरंभ होते ही मंडियों में सेब के दाम धड़ाम से गिर गए हैं और इसके साथ ही राज्य में सेब की खरीद एवं भंडारण करने वाली प्रमुख कंपनी अदानी एग्री फ्रेश ने भी ऐन मौके पर बागवानों को झटका दे दिया। बागवान महसूस करने लगे हैं कि अंततः वे बाजार के ‘खिलाड़ियों’ के रहमोकरम पर हो गए हैं।

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अदानी एग्री फ्रेश ने बागवानों से सेब खरीद के जो रेट तय किए हैं, उससे बागवानों में भारी असंतोष है। इस बार बीते साल के मुकाबले प्रतिकिलो लगभग 16 रुपये कम रेट तय किए गए हैं। बीते वर्ष बाजार में इन दिनों कोरोना का बहुत अधिक प्रकोप था, जबकि इस वर्ष मार्किट पूरी खुली होने के बावजूद खरीद मूल्य घटाया गया है। बागवानों में इससे बहुत मायूसी है। देश में पारित विवादास्पद तीन कृषि कानूनों से इसी तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं।

कंपनी 26 अगस्त से सेब खरीद शुरू करेगी। कंपनी ने इस वर्ष के लिए सेब खरीद मूल्य सार्वजनिक कर बताया है कि वह 80 से 100 फीसदी रंग वाला एक्स्ट्रा लार्ज सेब 52 रुपये प्रति किलो, जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब 72 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदेगी। गत वर्ष एक्स्ट्रा लार्ज सेब 68 रुपये और लार्ज, मीडियम और स्मॉल साइज का सेब 88 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा गया था।

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कंपनी इस सीजन में 60 से 80 फीसदी रंग वाला एक्स्ट्रा लार्ज सेब 37 रुपये किलोग्राम तथा लार्ज, मीडियम और स्मॉल आकार का सेब 57 रुपये प्रति किलो की कीमत पर खरीदेगी। 60 फीसदी से कम रंग वाले सेब की खरीद 15 रुपये प्रति किलो की दर पर होगी। पिछले साल ऐसा सेब 20 रुपये किलो खरीदा गया था। कंपनी ने 26 से 29 अगस्त तक के लिए यह रेट जारी किए हैं। 29 अगस्त के बाद रेट में बदलाव किया जाएगा।

अदानी एग्री फ्रैश के ठियोग के सैंज, रोहड़ू के मेहंदली और रामपुर के बिथल में कलेक्शन सेंटर हैं। अदानी एग्री फ्रेश के टर्मिनल मैनेजर पंकज मिश्रा ने कहा कि मार्किट का फीडबैक लेने के बाद ही रेट तय किए गए हैं। 29 अगस्त के बाद भी मार्किट की स्थिति के अनुसार ही रेट में बदलाव किया जाएगा।

हिमाचल फार्मर प्रोड्यूस कंपनी लड़ेगी बागवानों की लड़ाईः सेब बागवान पिछले कुछ वर्षों से मार्किट के इस तथाकथित कृत्रिम उतार- चढ़ाव के चलते बहुत परेशान हैं तथा बिचौलियों से निपटने के लिए छटपटाहट की स्थिति में हैं। कुछ जागरूक बागवानों ने सीधे रिटेलर तक अपना सेब पहुंचाने के इरादे से ‘हिमाचल फार्मर प्रोड्यूस कंपनी’ की स्थापना की है। बागवानों की इस कंपनी की योजना है कि पहले बागवानों का सेब कोल्ड स्टोर में रखा जाएगा, फिर आवश्यकता के अनुसार सीधे रिटेलरों को उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिल सके।

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हिमाचल फार्मर प्रोड्यूस कंपनी के संस्थापक दीपक सिंघा ने मीडिया को बताया कि इस साल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कोटगढ़ से डेरा बस्सी और दिल्ली को सेब भेजे जा रहे हैं। अगले साल पूरे प्रदेश से सेब बागीचों से सीधे रिटेलर तक सेब भेजने की कोशिश होगी।

उन्होंने कहा कि डेरा बस्सी से सेब पंजाब और चंडीगढ़ के रिटेलरों तक पहुंचाया जाएगा, जबकि दिल्ली से सेब की सप्लाई एनसीआर के तहत आने वाले उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, जींद और करनाल सहित अन्य शहरों के रिटेलरों तक होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार के सेब एक किलो के पारदर्शी पैकेट में बिकता है। इसके लिए मुंबई की कंपनी से संपर्क किया है, जो ऐसे पैकेट उपलब्ध करवाएगी।

दीपक सिंघा के अनुसार हिमाचल फार्मर प्रोड्यूस कंपनी वॉलमार्ट के भी संपर्क में है ताकि वॉलमार्ट के स्टोर पर भी ताजा सेब उपलब्ध करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि मंडियों में आढ़ती इन दिनों बढ़िया सेब 30 से 40 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं, जबकि यही सेब रिटेल में 150 से 200 रुपये में बिक रहा है। इसलिए बागीचों से सेब को सीधे रिटेलर तक पहुंचाने की योजना पर काम किया जा रहा है।

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एचएनपी सर्विस

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