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टिकैत के दौरे ने बागवानों के आंदोलन में भरा नया जोश

शिमला। किसान आंदोलन के राष्ट्रीय नेता राकेश टिकैत के मात्र एक दिवसीय दौरे ने हिमाचल प्रदेश में भी किसानों- बागवानों के आंदोलन में नया जोश भर दिया। उनके लौटने के दो दिन बाद ही सोमवार को कालीबाड़ी हाल शिमला में किसानों, बागवानों के करीब 14 संगठनों ने संयुक्त किसान मंच के बैनर तले किसान संवाद का आयोजन कर आंदोलन की भावी रूपरेखा तय की।

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संयुक्त किसान मंच में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि प्रदेश सरकार ने यदि बागवानों की मांगें नहीं मानीं तो 13 सितंबर और फिर 26 सितंबर को प्रदेश भर में ब्लॉक, तहसील और उपमंडल स्तर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। 26 सितंबर को बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी।

ठियोग से माकपा विधायक राकेश सिंघा और शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी किसान संवाद में भाग लेकर किसानों- बागवानों के हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई और कहा कि वे हर संघर्ष में किसानों- बागवानों के साथ खड़े रहेंगे। आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक एसएस जोगटा भी कार्यक्रम में शामिल हुए।  

हालांकि दो दिन पूर्व विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया में राकेश टिकैत के खिलाफ बयान जारी किया था। सोलन में राकेश टिकैत के साथ नोकझोंक करने वाले व्यापारी ने भी अंततः सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी गलती पर माफी मांग ली हैं। इस व्यापारी की केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गई थी।

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राकेश टिकैत ने शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा था कि, “हिमाचल प्रदेश की ठंडी वादियों में क्रांति की ज्वाला भरने की आवश्यकता है। मैं इसी मकसद से यहां आया हूं।” लगता है टिकैत के आह्वान का किसानों, विशेषकर सेब उत्पादकों पर व्यापक असर हुआ है। अडानी ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार सेब की खरीद दरों में 18 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कटौती की है। सेब ही नहीं मंडियों में टमाटर, फ्रासबीन, गोभी, शिमला मिर्च आदि के भी बहुत कम रेट मिल रहे हैं।

संयुक्त किसान मंच के प्रदेश संयोजक हरीश चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि हिमाचल का बागवान पहले भारी ओलावृष्टि, बर्फबारी और तूफान के कारण तबाह हुआ, जिसका सरकार की ओर से एक पैसे का भी मुआवजा नहीं मिला। अब कारपोरेट की लूट का शिकार हो रहा है। किसानों- बागवनों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है, लेकिन प्रदेश सरकार हमारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।

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हरीश चौहान ने कहा कि,  “मैंने 32 वर्ष तक भाजपा में रह कर पार्टी की सेवा की है, लेकिन आज जब बागवान गंभीर संकट में हैं और सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही तो मुझे मजबूरन अपने बागवानों के साथ संघर्ष में खड़ा होना पड़ा है। इसके लिए भाजपा चाहे तो मुझे पार्टी से निकाल सकती है।”

संयुक्त किसान मंच के अन्य नेतागण- संजय चौहान, दीपक सिंघा, कुलदीप सिंह तंवर, केएन शर्मा, डिम्पल पांजटा, सन्दीप मस्ताना, सोहन ठाकुर, पूर्व जिला परिषद सदस्य, नीलम सेरेक ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं का कहना था कि प्रदेश में सेब के दामों में अप्रत्याशित गिरावट सरकार और कारपोरेट के नापाक गठजोड़ का ही नतीजा है। इस समाधान सड़कों पर बड़ा आंदोलन करने से ही संभव है।

 राजेश चौहान, राजिंदर चौहान, सुशील चौहान, सत्यवान पुंडीर, जिला परिषद सदस्य विशाल शांगटा, हरीश जनारथा सहित अनेक किसान- बागवान नेतागण इस अवसर पर मौजूद थे।

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एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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