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दुर्लभ स्नो लेपर्ड की तस्वीरें कैमरे में कैद - Himnewspost

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दुर्लभ स्नो लेपर्ड की तस्वीरें कैमरे में कैद

देहरादून (गोपेश्वर)। देश में दुर्लभ माने जा रहे हिम तेंदुआ यानी स्नो लेपर्ड को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के कैमरे में कैद किया गया है। राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र के जंगलों में लगाये गए इन कैमरों में तीन हिम तेंदुओं की तस्वीरें कैद हुई हैं। खास बात यह है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र का बेहद शर्मीला यह प्राणी निचले क्षेत्र में विचरण कर रहा है। वन विभाग को उम्मीद है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में इनकी संख्या कहीं अधिक हो सकती हैं।
हिम तेंदुओं की संख्या लगातार घटने से वन विभाग चिंतित था। तीन दशक से तो हिम तेंदुओं के दर्शन तक नहीं हुए थे। वन विभाग के जो आंकड़े थे वे कयासों के आधार पर ही थे, लेकिन वन विभाग की ओर से निगरानी के लिए जंगलों में लगाए गए आटोमैटिक कैमरों में दो साल में एक के बाद एक तीन हिम तेंदुओं की तस्वीर कैद होने से महकमा काफी उत्साहित है। दरअसल पहली बार वर्ष 2010 में शीतकाल में मलारी के पास हिम तेंदुआ कैमरे में कैद हुआ था। तब इसे बड़ी उपलब्धि माना गया था। वर्षों बाद हिम तेंदुए पर आन रिकार्ड वन विभाग के पास दस्तावेज मिला था। अब वर्ष 2012 में मलारी वैली के फरकिया गांव के पास नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अंदर धरासी मंदिर के पास हिम तेंदुए विचरण करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं।
अमूमन बर्फीले क्षेत्र में रहने वाला हिम तेंदुआ 3500 मीटर से ऊपरी स्थानों पर ही रहता है। बेहद शर्मीले स्वभाव का यह प्राणी रात्रि को शिकार करता है। शीतकाल में शिकार के साथ यह निचले स्थानों पर भी आ जाता है। हिम तेंदुए की खाल व अन्य अंगों की अच्छी खासी कीमत होने के चलते यह हमेशा तस्करों के निशाने पर रहा है। इनकी लगातार घट रही संख्या से वन महकमे के लिए इसका अस्तित्व बचाने की चुनौती थी।
हिम तेंदुए तीन फुट तीन इंच से तीन फुट आठ इंच तक ऊंचे होते हैं और पूंछ भी उनकी लंबाई के बराबर ही लंबी होती है। इनके बदन पर सफेद धब्बे होते हैं। हिम तेंदुआ भरड़, गोरल, थार, कस्तूरा मृग सहित उच्च हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले जंगली जानवरों का शिकार करता है। तीन माह में प्रजनन करने वाले हिम तेंदुए के दो से चार तक बच्चे होते हैं।
वन संरक्षक नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ, चमोली के वन संरक्षक बीके गांगटे कहते हैं कि पार्क क्षेत्र में जिस प्रकार हिम तेंदुए कैमरों में कैद हुए हैं। इन तस्वीरों को देख कर उम्मीद की जा सकती है कि राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में इनकी संख्या उम्मीद से कई गुना अधिक है।

हिम न्यूज़पोस्ट.कॉम

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