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कोल्ड स्टोर में कार्यालय, शौचालय में दुकान

देहरादून (पौड़ी)। किसानों, बागवानों एवं आम जनता के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर आरंभ की जाने वाली योजनाएं किस प्रकार पात्र लोगों को

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लाभ पहुंचाए बिना प्रभावशाली लोगों की गुलाम बन जाती हैं, पौड़ी का कोल्ड स्टोर इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए लाखों रुपये खर्च कर इस कोल्ड स्टोर का निर्माण वर्ष 1976 में किया गया था। लेकिन प्रशासन ने बाद में इसका प्रयोग सब्जियों व फलों को रखने के बजाए कार्यालय के रूप में ही किया। क्षेत्र के किसानों व बागवानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। एक अन्य उदाहरण पौड़ी जिले में ही कोटद्वार के मोहल्ला आमपड़ाव में लोगों की सुविधा के लिए वर्ष 2007-08 में बनाया गया इंटरनेशनल सुलभ शौचालय परिसर है, जिसे बंद कर वहां अब किसी प्रभावशाली व्यक्ति के लिए दुकान खोलने की तैयारी चल रही है।
पौड़ी गढ़वाल जिले के काश्तकारों के उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए वर्ष 1976 में हिल एरिया डिवेल्पमेंट एजेंसी (हाडा) के तत्वावधान में निर्माणदायी संस्था आरईएस ने उद्यान विभाग के लिए 4.70 लाख रुपये की लागत से कोल्ड हाउस बनाया था। कोल्ड हाउस बनने के बाद इसकी देखरेख की जिम्मेदारी एक अन्य सरकारी एजेंसी एसएफडीए को हस्तांतरित कर दी गई, जिसे अब डीआरडीए के नाम से जाना जाता है।
इसे किसानों का दुर्भाग्य कहें चाहे प्रशासन का उपेक्षित रवैया, आज तक इस कोल्ड हाउस का प्रयोग काश्तकारों के उत्पाद को सुरक्षित करने के लिए नहीं हो सका है। वर्ष 1996 में जिला परिवार न्यायालय ने इसका प्रयोग बतौर कार्यालय तीन वर्ष तक किया। परिवार न्यायालय के शिफ्ट होने के बाद से कोल्ड हाउस लावारिस की तरह बदहाल पड़ा है। हालांकि परिवार न्यायालय ने अभी तक यह भवन डीआरडीए को हस्तांतरित नहीं किया है, ऐसे में न तो कोल्ड हाउस का रखरखाव ही हो पा रहा है और न ही सही मतलब के लिए इसका प्रयोग। अधिकारी भी अब एक-दूसरे पर कोल्ड हाउस की जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। किसानों की फसलें आज भी या तो खेतों में सड़ रही हैं या सड़कों पर, लेकिन इसकी किसी को भी परवाह नहीं है।
डीआरडीए के परियोजना अर्थशास्त्री, दीपक कुमार कहते हैं कि, ‘कोल्ड हाउस उद्यान विभाग को आवंटित था, लेकिन इसे उद्यान विभाग कभी उपयोग में नहीं ला सका। वर्ष 1996 में कोल्ड स्टोर को जिला परिवार न्यायालय ने अपने कार्यालय के रूप में प्रयोग किया। अभी तक भी इसका हस्तांतरण डीआरडीए को नहीं हुआ है।’
बागवानी विभाग के उपनिदेशक आईपी सिंह का इस संबंध में कहना है कि कोल्ड स्टोर को काश्तकारों के उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसका प्रयोग नहीं हुआ। कोल्ड हाउस डीआरडीए की संपत्ति है, इसलिए इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी उसी की है।
सुलभ शौचालय परिसर में दुकान खोलने की तैयारी
कोटद्वार। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से मोहल्ला आमपड़ाव में वर्ष 2007-08 में खोला गया एक सार्वजनिक सुलभ शौचालय परिसर इन दिनों खूब चर्चाओं में है। स्थानीय नगर पालिका शौचालय परिसर में दुकान खोल कर उसे किसी प्रभावशाली व्यक्ति को अलाट करने की तैयारी में है।
इस सार्वजनिक सुलभ शौचायल परिसर की देखरेख व संचालन का जिम्मा सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आर्गेनाइजेशन की देहरादून इकाई को दिया था। शुरुआती साल-डेढ़ साल तक तो सबकुछ ठीकठाक चलता रहा, लेकिन अगस्त 2010 से इस शौचालय को आम जनता के लिए बंद कर दिया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह कांप्लेक्स आरंभ से ही अतिक्रमणकारियों की नजरों में चढ़ा हुआ था। अब तो कुछ लोगों ने कांप्लेक्स पर शटर डाल कर दुकान खोलने की तैयारी भी शुरू कर दी है। लोगों को हैरानी उस सयम हुई जब उन्होंने इस संबंध में पालिका में शिकायत दर्ज करवाई तो पता चला कि दुकान पालिका की शह पर ही खोली जा रही है।
स्थानीय संगठन जन अधिकार मंच के अध्यक्ष आशाराम कहते हैं कि नगर पालिका ने जन भावनाओं को ताक में रख शौचायल पर अतिक्रमण करवा दिया। पालिका के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
कोटद्वार नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी पीएस चौहान कहते हैं कि यह परिसर पिछले डेढ़-दो वर्षों से बंद पड़ा था। पालिका बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित करने के बाद इसे अन्य प्रयोजन मेें प्रयोग के लिए किराए पर दे दिया गया है।

हिम न्यूज़पोस्ट.कॉम

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