बद्दी। समाज सुधारक व सतसंगी बाबा जंग सिंह ने मरणोपरांत देहदान का संकल्प लिया है। इसके लिए उन्होंने मंगलवार को पीजीआई चंडीगढ़ में वांछित कागजात तैयार कराए और अपने परिजनों से भी कह दिया कि मरणोपरांत उनकी देह को अस्पताल में दान कर दिया जाए ताकि पीड़ित अंगहीनों को इसका लाभ मिल सके।
उन्होंने बद्दी के झाड़माजरी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी और कहा कि मृत्यु के बाद अगर आपके शरीर के अंग किसी के लिए जीवनदायक बन जाएं तो इससे बड़ा पुण्य कोई और नहीं हो सकता। गांव गोरखपुर, डाकखाना मढ़ावाला, तहसील कालका, जिला पंचकूला के वासी बाबा जंग सिंह जगह-जगह जाकर नगर कीर्तन व संतसंग के द्वारा लोगों को सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूक करते हैं।
उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता व बुजुर्गों की जो सेवा आप उनके जीते जी कर सकते हैं उससे बड़ी सेवा और कोई नहीं है। मरने के बाद होने वाले श्राद्ध, चवर्ख आदि में चाहे तुम पंडितों को चाहे जितने मर्जी पकवान खिलाओ, उसका लाभ उन लोगों को कभी नहीं मिलता जो इस दुनिया से अलविदा हो चुके हैं।
बाबा जंग सिंह ने कहा कि सभी को मरणोपरांत अपना शरीरदान करना चाहिए ताकि आपका शरीर उन लोगों के काम आ सके जो आंखों, किडनी, लीवर व दिल की बीमारी के चलते दुखदाई जीवन जीने को मजबूर हैं। उन्होंने इस बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि शरीरदान से मनुष्य की आत्मा भटकती है। उन्होंने कहा कि आत्मा पवित्र है। वह कुछ समय बाद ही मनुष्य के कर्मों के अनुसार अपना ठिकाना ढूंढ लेती है तथा उसमें वास कर लेती है।
उन्होंने कहा कि, “मुझे मेरी आत्मा ने ही यह आदेश दिया कि मैं मरणोपरांत अपना शरीर दान करुं। इसीलिए मैंने पीजीआई चंडीगढ़ में जाकर अपने शरीर दान से संबंधित सारे कागजात तैयार करवाए और अपने परिवारजनों को भी इसके बारे में स्पष्ट कर दिया।”
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