शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग और प्रदेश सरकार को सकते में डालते हुए आदेश पारित किया है कि शिमला नगर निगम के चुनाव 18 जून से पहले कराये जाएं। मतदाता सूचियों में भारी गड़बड़ी की शिकायतें मिलने पर प्रदेश सरकार ने नगर निगम के चुनाव कुछ समय के लिए आगे टाल दिये थे। सत्तारूढ़ माकपा और भाजपा ने चुनाव टाले जाने का कड़ा विरोध करते हुए शहर में धरना प्रदर्शन भी किये।
नगर निगम शिमला का कार्यकाल 4 जून का पूरा हो रहा है। एक्ट के मुताबिक 4 जून तक निगम के चुनाव सम्पन्न हो जाने चाहिए थे, लेकिन प्रशासन ने इसके लिए जो मतदाता सूचियां तैयार की थीं, उनमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं। हजारों मददाताओं के नाम सूचियों के गायब थे, जबकि बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता बनाए जाने की भी शिकायतें माकपा और भाजपा ने दर्ज कीं।
सरकार द्वारा चुनाव आगे टाले जाने के बाद इन दिनों चुनाव आयोग के निर्देश पर मतदाता सूचियों में संशोधन का कार्य चल रहा है, जो 23 जून को पूरा होगा। लेकिन इसी बीच याचिकाकर्ता राजू ठाकुर की याचिका पर फैसला लेते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने सरकार को निगम के चुनाव 18 जून से पहले कराने का आदेश दे दिया। अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को 24 घण्टे के भीतर चुनावों की तारीख तय करने के लिए कहा है।
ऐसे में अदालत का यह आदेश राज्य चुनाव आयोग और प्रदेश सरकार दोनों के लिए खासी परेशानी का कारण बन गया है। क्योंकि संशोधित मतदाता सूचियों के बिना अधूरी तैयारी के साथ चुनाव कराना भी संभव नहीं लगता। अब देखना यह है कि उच्च न्यायालय के इस फैसले की अनुपालना होती है या इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
याचिकाकर्ता राजू ठाकुर ने राज्य निर्वाचन आयोग के स्पेशल रिविजन ऑफ इलेक्ट्रोल रूल्स के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने अदालत से कहा कि संविधान की धारा 243 यू में स्थानीय निकायों के चुनावों को एक भी दिन टालने या आगे खिसकाने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में निर्वाचन आयोग का फैसला तर्क संगत नहीं है।