रुद्रप्रयाग ( फाटा)। गौरीकुंड में गौरी माई मंदिर के कपाट बैशाखी के दिन खुलने की सदियों
सदियों से बैशाखी के दिन गौरी माई मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। इस दिन गौरी माई की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में रखा जाता है और छह माह तक यहीं उसकी पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। गत वर्ष जून में आई आपदा के कारण केदारनाथ धाम के साथ-साथ गौरीकुंड में भी भारी तबाही मची थी। गौरीमाई का मंदिर मलबे में दब गया था। साथ ही गर्म कुंड भी क्षतिग्रस्त हो गया था। आपदा को हुए नौ माह से भी अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन आज तक मंदिर को इस लायक नहीं बनाया जा सका कि इसे तीर्थ यात्रियों के दर्शनों के लिए खोला जाए।
अभी तक मंदिर के दरवाजे व खिड़कियां तो बन गए हैं। मंदिर प्रांगण समेत चारों ओर मलबा अटा पड़ा हुआ है। इसके बायें भाग में स्थित कुंड के पानी की निकासी भी नहीं बन पाई है। साथ ही मंदिर के आगे क्षतिग्रस्त भवन मंदिर की ओर झुका हुआ है। इससे मंदिर में परिक्रमा करने तथा यात्रियों को खड़े होने की जगह नहीं है। यह क्षतिग्रस्त भवन कभी भी गिर सकता है। मलबे में अभी भी मृत लोगों के शव दबे होने की आशंका बनी हुई है।
गौरीकुंड गोस्वामी गांव के कुलानंद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर की सफाई न होने के कारण मंदिर के कपाट खुलना अभी संभव नहीं है। बैसाखी के स्थान पर अब भगवान केदारनाथ की डोली के गौरीकुंड पहुंचने के अगले दिन 2-3 मई को कपाट खोलने का प्रयास किया जाएगा। फिलहाल गांव में ही यज्ञ करने के बाद यहीं गौरी माई की पूजा अर्चना की जाएगी।
मंदिर समिति के कार्याधिकारी अनिल शर्मा ने भी बताया कि बैशाखी को कपाट नहीं खुल रहे हैं, मंदिर में सफाई व मुरम्मत कार्य पूरा नहीं हो पाने के कारण यह स्थिति बनी है।