शिमला। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने ‘रिजेक्ट कांग्रेस- डिफीट भाजपा’ नीति को प्रमुखता देते हुए
उन्होंने कहा कि माकपा की नजर में भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन दोनों ही दलों के साथ चुनाव में और उसके बाद किसी भी तरह का कोई तालमेल नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये दोनों ही पार्टियां देश में आम जनता के लिए जानलेवा साबित हो रहीं नवउदारवादी नीतियों की हिमायती हैं। इन नीतियों के कारण ही देश में आज गरीबों और अमीरों के बीच खाई तेजी से बढ़ती जा रही है। पूंजीपतियों की झोली भरने के लिये गरीबों को नृशंसतापूर्वक लूटा जा रहा है। माकपा नेताओं ने कहा कि पार्टी इसके विरोध में अपना संघर्ष लगातार जारी रखेगी ताकि आम जनता को इस शोषण से बचाया जा सके।
माकपा ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि पार्टी हिमाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने, पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत प्रदेश को वाजिव हक दिलाने, प्रदेश के पानी पर 10 प्रतिशत उपकर लगाने, भूमिहीनों को कम से कम पांच बीघा भूमि दिलवाने और गरीबों के सरकारी भूमि पर बने मकानों को नियमित करने के लिए संघर्ष करेगी।
चुनावी घोषणापत्र में इसके अतिरिक्त बंदरों का निर्यात खोलने, किसानों को जंगली जानवरों एवं आवारा पशुओं से निजात दिलाने, प्रदेश के पानी पर 10 प्रतिशत उपकर लगाने, भूमिहीनों को मकान बनाने के लिए गांवों में तीन बिस्वा और शहरों मे दो बिस्वा भूमि उपलब्ध कराने, उच्च निजी शिक्षण संस्थानों पर नियंत्रण की प्रक्रिया को मजबूत करने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने, पंजीकृत बेरोजगारों को 2000 रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता दिलाने, मनरेगा में वर्ष में 200 दिन रोजगार देने आदि के लिए भी संघर्ष को आगे बढ़ाने का काम करेगी।
माकपा नेता टिकेंद्र सिंह पंवर ने कहा कि 9वें वित्तायोग ने हिमाचल का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया है, जिस कारण केंद्र से प्रदेश को मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद हो गई है। प्रदेश से केंद्र में दो-दो कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद वे प्रदेश का विशेष राज्य का दर्जा बहाल कराने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के साथ अन्याय पंजाब के बंटवारे के समय से ही चलता आ रहा है। पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 के तहत आज तक इसका हक नहीं मिला है, जबकि उच्च न्यायालय ने भी प्रदेश का 7.19 प्रतिशत का दावा सही ठहराते हुए निर्णय दिया है। प्रदेश का भाखड़ा, डैहर और पौंगडैम परियोजनाओं से ही वर्ष 2011 तक 4249.45 करोड़ का दावा बनता है। परंतु इसे दिलवाने में कांग्रेस और भाजपा नाकाम रही हैं।
कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि माकपा देश में वैकल्पिक नीतियों को लेकर चुनाव में उतरी है ताकि लोगों को सही में बदलाव नजर आए। इसमें जनवादी तरीके से भूमि सुधार, किसानों को लाभकारी मूल्य, आत्म निर्भर आर्थिक प्रणाली आदि पर काम किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि माकपा ने प्रदेश में शिमला और मंडी संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। शिमला से जगतराम और मंडी से कुशाल भारद्वाज पार्टी के प्रत्याशी हैं। पार्टी ने कांगड़ा और हमीरपुर सीटों पर समा विचारधारा वाली गैर भाजपा-गैर कांग्रेस पार्टियों को समर्थन देने की घोषणा की है।