शिमला। प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों से पूर्व सत्तारूढ़ भाजपा से टूटकर बनी हिमाचल लोकहित पार्टी
हिलोपा को सबसे बड़ा झटका हाल ही में पार्टी के उपाध्यक्ष खुशीराम बालनाटाह के छिटक जाने से लगा, जो अब वापस भाजपा में कांगड़ा से प्रत्याशी शांता कुमार के साथ नजर आने लगे हैं। शांता समर्थक बालनाटाह ने पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल पर आरोपों की बौछार करते हुए खुला विद्रोह कर दिया था और फिर बागी महेश्वर सिंह के साथ मिलकर हिलोपा के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। परिणाम स्वरूप विधानसभा चुनाव में कुछ जगह तिकोना मुकाबला हो जाने के कारण प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई। पार्टी अध्यक्ष महेश्वर सिंह ने बालनाटाह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया है और इसके साथ ही उन्होंने अन्य सदस्यों को भी अनुशासन में रहने की सख्त चेतावनी दी है।
हिलोपा में इसी प्रकार जनाधार वाले अनेक बड़े नाम या तो भाजपा में लौट गए हैं या भाजपा अथवा आम आदमी पार्टी में जाने की तैयारियां कर रहे हैं। हाल ही में हिलोपा के आम आदमी पार्टी में विलीन होने या उसके साथ चुनावी समझौता करने की चर्चाएं भी उठी थीं, लेकिन हिलोपा के ये प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाए, क्योंकि आम आदमी पार्टी ने महेश्वर सिंह को मंडी संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाने या उन्हें चुनाव में समर्थन देने से इनकार कर दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल हिलोपा प्रमुख महेश्वर सिंह की बीजेपी में वापसी का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनकी योजना हिलोपा के सिपाहियों को एक-एक कर वापस लेकर महेश्वर सिंह को बिल्कुल अकेला आधारहीन बनाकर छोड़ देने की है, लेकिन शांता कुमार और भाजपा हाईकमान के कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते हैं। महेश्वर सिंह उनके साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। भाजपा ने अभी तक मंडी संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। शायद इस बात की गुंजाइश रखी गई है कि महेश्वर सिंह को पार्टी में वापस लेकर उन्हें मंडी से कांग्रेस की निवर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह के मुकाबले खड़ा किया जाए। महेश्वर सिंह ने वर्ष 2009 के संसदीय चुनावों में भी इस सीट पर प्रतिभा सिंह के साथ मुकाबला किया था, लेकिन हार गए थे।