पौड़ी गढ़वाल (कोटद्वार)। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में महिलाओं की शराबबंदी की
मुस्लिम समाज में शराब के बढ़ते प्रचलन को कम करने के उद्देश्य से बुलाई गई इस बैठक में शादियों में शराब के प्रचलन पर गहरी चिंता जताई गई। तय हुआ कि जिस शादी में शराब, ढोल, डीजे बजेगा, वहां इमाम व नेक लोगों का शिरकत करना दुरुस्त नहीं है। स्पष्ट कहा गया है कि ऐसी शादी में जाना व निकाह पढ़ना शरमन मना व गुनाह है। धर्मगुरुओं ने स्पष्ट कहा कि आज शराब के लगातार बढ़ रहे प्रचलन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाना बेहद जरूरी हो गया है।
कोटद्वार जामा मस्जिद के इमाम मौलाना बदरूल इस्लाम ने बैठक के बाद मीडिया से कहा कि विवाह समारहों में शराब, डीजे, ढोल स्टेटस सिंबल बन गया है। इन पर खर्च होने वाली धनराशि का इस्तेमाल समाजहित के लिए होना चाहिए। शराब से विवाह समारोह में झगड़े भी बढ़ गए हैं।
जामा मस्जिद की की इस पहल का सभी धर्मगुरुओं स्वागत किया है। गुरूद्वारा सिंह साहब के मुख्य ग्रंथी सरदार कंवलजीत सिंह कहते हैं कि जामा मस्जिद में लिया गया निर्णय वक्त की नजाकत है। शराब का प्रचलन रोकने के लिए कड़े कदम उठाने बेहद जरूरी हो गए हैं। सभी धर्मगुरुओं को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
श्री सिद्धबली मंदिर के मुख्य पुजारी कृष्ण कुमार दुदपुड़ी ने कहा कि जामा मस्जिद में लिया निर्णय अच्छा है। शादियों में शराब का प्रचलन समाज के लिए घातक है। यह अन्य विकृतियों को भी जन्म देता है। शादियों में शराब का प्रचलन रोकने के लिए ठोस पहल जरूरी है।
कोट कादर चर्च के प्रभारी फादर जॉन ने कहा कि ईसाई धर्म में किसी भी समारोह में शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है। धर्म चाहे कोई भी हो, शराब सिर्फ नुकसान ही करती है। इसका प्रयोग समाप्त होना चाहिए।
उल्लेखनीय है राज्य के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाएं पिछले काफी समय से शराबबंदी के सिए आंदोलन छेड़े हुए हैं। गांवों में शराब पीकर आने वालों को बाकायदा पिटाई होती है और शराबियों पर जुर्माना लगाने के भी प्रावधान किया गया है। समाज के जागरूक लोगों का सहयोग आंदोलनकारी महिलाओं को आरंभ से ही मिलता रहा है। अब धर्मगुरुओं का भी इस तरह समर्थन मिलने से महिलाओं के संघर्ष को काफी ताकत मिलने की उम्मीद है।