शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संस्थान बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें सात नये स्वयंवितपोषित पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। विवि की कार्यकारिणी परिषद की वीरवार को हुई बैठक में आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए गठित कार्यान्वयन समिति की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी ने कहा कि इन पाठ्यक्रमों को आरम्भ करने से जहां विश्वविद्यालय को आर्थिक संसाधन जुटाने में सहयोग मिलेगा, वहीं बाजार में प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए रोजगारपरक और व्यावसायिक प्रशिक्षित लोग भी उपलब्ध होंगे।
बैठक में वर्ष 2009 से पहले के पीएचडी धारकों या पीएचडी में पंजीकृत अभ्यर्थियों को नेट/सैट की छूट देने का भी निर्णय लिया गया ताकि वे सहायक आचार्य के पद के लिए योग्य बन सकें।
यह भी निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय विधिक संस्थान में बीएएलएलबी आनर्स (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम) और बीबीएएलएलबी आनर्स (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम) शुरू किए जाएंगे। इसी प्रकार विश्वविद्यालय में स्वयंपोषित योजना के आधार पर बी.टैक बायो-टैक्नोलॉजी, आर्किटेक्चरर इंजीनियरिंग, जीव विज्ञान में स्नातक, बी.फार्मेंसी, टैक्सटाईल इंजीनियरिंग, बी.काम, एलएलबीबी (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम), बीएससी एलएलबी आनर्स (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम) और बी.टैक एलएलबी आनर्स (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम) शुरू करने का भी निर्णय लिया गया।
कार्यकारिणी परिषद ने नए पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र धर्मशाला तथा इक्डोल के नोयडा स्थित केन्द्र में भी इसी प्रकार के पाठ्यक्रम आरम्भ करने के लिए सैद्धान्तिक स्वीकृति दी।
इस बैठक में स्थानीय विधायक सुरेश भारद्वाज के अतिरिक्त शिक्षा निदेशक डा. दिनकर बुड़ाथोकी, प्रो. धनीराम शर्मा, प्रो. सुरेश कुमार, प्रो. ओपी चौहान, प्रो. श्रीराम शर्मा, प्रो. एनएस बिष्ट, डा. उमा वर्मा, डा. बृज लाल बिन्टा, चौधरी वरयाम सिंह बैंस और कुलसचिव सीपी वर्मा भी उपस्थित थे।
विवि में सात नए स्वयंवितपोषित पाठ्यक्रम
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