Reports and analysis based on folk culture and life philosophy of Himachal Pradesh, Uttarakhand and other adjoining hill states.
हिमाचल के दूरस्थ ऊपरी क्षेत्रों में आज भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो हर समय- चूल्हे के पास आग सेंकते हुए, बरामदे में आराम करते हुए, जंगल में पशु चराते हुए और यहां तक कि टहलते हुए भी ऊन कातते नजर... Read more
उस समय डा. यशवंत सिंह परमार पैदल ही क्षेत्र के नेताओं के साथ सोलन बाज़ार होते हुए राजगढ़ की ओर चल पड़े। तभी किसी दुकानदार ने लम्बे लोइया वाले लोगों की ओर देख कर कहा, “देखो पहाड़िये जा रहे है... Read more
पहाड़ों में खरांवका घी ही प्रयोग में लाया जाता है। यह घी खुशुबूदार और स्वाद में अद्वितीय होता है। ठेठ पहाड़ी लोगों को यदि कहीं आंवड़ा घी खिला दिया जाए तो तुरंत कह देंगे- ‘यह घी नहीं, पानी है... Read more
नाहन (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में सर्दियों के मौसम में लोगों की एक पसंदीदा डिश है- बिच्छु बूटी का साग। गांवों में इसे ‘भाभरो रा साग’ कहा जाता है। जी हां, वही बिच्छु बूटी, जि... Read more
कुल्लू जिला में प्रायः हर ग्राम्य देवता के अपने लोक गायक, लोक वादक और लोक वाद्य हैं। देवयात्रा के समय ये सब उनके साथ चलते हैं। कुछ नृत्य विशेष धुनों पर केवल देवताओं के ही होते हैं, जिसमें गू... Read more
देहरादून। तांत्रिकों, पंडितों के इस कुष्प्रचार कि धन की देवी लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू की बलि से बहुत प्रसन्न होती है, इन दिनों उल्लुओं की शामत आई हुई है। वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्... Read more
नाहन। सिरमौर जिला में पैरवी नदी के उद्गम ‘बांगा पाणी’ झील (रौ) से पानी ओवर फ्लो होकर जब भयानक शोर करते हुआ नीचे उतरने लगा तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। क्षेत्र में प्राचीनकाल से ही चली आ... Read more
मछलियों को अचेत करने के लिए टिमरू के तने की छाल से बनाए गए चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।हानिकारक ब्लीचिंग पाउडर या अन्य रसायनों के प्रयोग पर सख्त मनाही है। टिमरू के चूर्ण से मछलियां मात्र कु... Read more