सुंदरनगर। हिमाचल प्रदेश विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) शीघ्र ही संतरे और बुरांस की वाइन बनाने की
एचपीएमसी के इस निर्णय से जहां प्रदेश के निचले- कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर आदि जिलों के संतरा उत्पादकों को लाभ होगा, वहीं मध्यवर्ती एवं ऊपरी क्षेत्रों, जहां बुरांस के फूल काफी मात्रा में पाए जाते हैं, के लोगों को भी अतिरिक्त रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। जंगल में खिलने वाले औषधीय गुणों से भरपूर बुरांस के फूलों को ग्रामीण अभी तक चटनी, स्क्वैश, जूस एवं जैली आदि बनाने में प्रयोग करते हैं। अब इन्हें एकत्रित कर वाइन बनाने के लिए बेचकर भी आय अर्जित कर सकेंगे।
एचपीएमसी अभी तक संतरे का जूस व स्कवैश बनाकर मार्केट में बेचता था। वाइन बनाने के निर्णय से संतरे की खपत और बढ़ेगी। विशेषज्ञों के अनुसार संतरे से बनने वाली वाइन शीतल होती है और पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है।
बुरांस के फूल हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में बहुतायत पाए जाते हैं। मंडी जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जनवरी से मार्च तक काफी मात्रा में बुरांस के फूल खिलते हैं। इन फूलों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। रक्तचाप नियंत्रित करने के लिए यह एक कारगर दवा का काम करता है। आयुर्वेद में भी बुरांस के फूल शरीर में सूजन, हृदय रोग, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी आदि के लिए काफी लाभकारी बताए गए हैं। बुरांस के फूलों में एक विशेष रसायन होता है जो मुंह के छालों के उपचार में भी मदद करता है। रक्तचाप नियंत्रण करने के अलावा यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है। जानकारों के अनुसार दिल के मरीजों के लिए बुरांस से बनी वाइन काफी फायदेमंद साबित होगी।
एचपीएमसी के जड़ोल स्थित संयंत्र के प्रबंधक विनीत कौशिक का कहना है कि वास्तव में फलों से बनने वाली वाइन एक अच्छी हेल्थ ड्रिंक होती है, क्योंकि इसमें अल्कोहल की मात्रा बहुत कम होती है। व्हिस्की में 42 फीसद तक अल्कोहल होता है। इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। उन्होंने कहा कि आरंभ में संतरे और बुरांस की वाइन सीमित मात्रा में ही तैयार की जाएगी। मांग बढ़ने पर इसका अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाएगा।