बिलासपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के आवास पर हुई तोड़फोड़ और इस वारदात के अभियुक्तों की
सीएमओ आवास पर तोड़फोड़ को स्थानीय एक प्रभावशाली नेता की कथित निजी रंजिश से भी जोड़ा जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसीलिए पुलिस का रोल भी इस मामले में नकारात्मक रहा। हालांकि एसोसिएशन का कोई भी पदाधिकारी इस मामले में आधिकारिक रूप से कहने के लिए तैयार नहीं है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार रात चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर बिलासपुर शहर के नजदीकी कुनाला गांव के पास एक स्कूटी सामने से आ रही एचआरटीसी की बस की चपेट में आ गई। हादसे में स्कूटी पर सवार तीन युवकों में से एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल पहुंचाए गए घायलों में से एक को रात को ही चंडीगढ़ पीजीआई रेफर कर दिया गया। एम्बुलेंस का चालक मौके पर नहीं होने के कारण मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध कराने में कुछ विलंब हुआ, जिस पर लोग भड़क उठे और उन्होंने पहले अस्पताल परिसर में नारेबाजी की और फिर सीएमओ आवास पर धावा बोल दिया। वहां उन्होंने मेन गेट, ग्रिल वाला गेट और डोरबैल स्विच आदि तोडऩे के साथ ही सीएमओ की गाड़ी का पिछला शीशा भी तोड़ दिया। इस दौरान पथराव से कई खिड़कियों के कांच भी टूटे।
हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव डा. जीवानंद चौहान, जिला महासचिव डा. कमल अटवाल व उपाध्यक्ष डा. ऋषि टंडन ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता आयोजित कर कहा कि सीएमओ आवास पर रात दो बजे इस तरह तोडफ़ोड़ करना और पुलिस प्रशासन द्वारा किसी के भी खिलाफ कार्रवाई नहीं करना अपने आप में ही एक गंभीर मामला है। इसे सहन नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि हादसे में घायल हुए युवकों का अस्पताल में ईलाज किया गया। एक घायल को चंडीगढ़ पीजीआई रेफर किया गया। यदि एंबुलेंस का ड्राइवर वहां मौजूद नहीं था तो उसकी शिकायत की जा सकती थी, लेकिन कुछ लोगों ने कानून अपने हाथ में लेते हुए सीएमओ आवास पर ही धावा बोल दिया।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि सीएमओ ने पुलिस प्रशासन को तुरंत घटना की जानकीरी दी, लेकिन डीएसपी स्तर के अधिकारी ने भी मौके पर आने की जहमत नहीं उठाई। दो कांस्टेबल जरूर भेजे गए थे। वे भी हालात का जायजा लेने के बाद लौट गए। इस घटना के बाद अस्पताल में दिन-रात सेवाएं दे रहे डॉक्टर और अन्य कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि जब तक दोषियों को गिरतार नहीं किया जाता, तब तक सभी डॉक्टर व स्टाफ के अन्य सदस्य हर रोज 11 से 1 बजे तक पैन डाऊन स्ट्राइक करेंगे। हालांकि आपातकालीन सेवाएं जारी रखी जाएंगी।