मंडी। गरीब किसानों- मजदूरों के हक में कानून चाहे जितने बना लो..लागू करेगा कौन? सरकार चाहे तो कानून
मनरेगा लोकपाल मंडी इस समय मात्र एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के सहारे कार्य करने को विवश हैं। उनके कार्यालय में पहले तैनात एक स्टेनो को बिना बताए जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) ने बुला लिया है। अब मनरेगा मजदूरों की शिकायतें दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने और फैसला लिखने तक के सारे काम लोकपाल को स्वयं करने पड़ रहे हैं। यही नहीं उन्हें कार्यालय भी डीआरडीए परिसर में देने के बजाए शहर से दो किलोमीटर दूर जेल रोड में दिया गया है, जहां कोई शिकायतकर्ता आसानी से पहुंच ही नहीं सकता।
पूर्व में मनरेगा लोकपाल जेसी शर्मा के पास पर्याप्त स्टाफ था। गत 22 सितंबर 2014 से यहां लोकपाल का पद रिक्त पड़ा था। सरकार ने गत 18 मई को जेसी शर्मा को मनरेगा लोकपाल के रूप में पुनर्नियुक्ति तो दी, लेकिन उनके पास से स्टेनो को डीआरडीए ने बिना बताए वापस बुला लिया। अब उनके पास स्टाफ के नाम पर मात्र एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बचा है। कार्यालय में मनरेगा मजदूरों की शिकायतों का अंबार लगना शुरू हो चुका है, लेकिन विवादों के निपटारे के लिए आर्डर टाइप करने वाला ही कोई नहीं है।
लोकपाल के कार्यालय में सरधवार पंचायत के जीत राम भी अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हुए थे। उनकी शिकायत है कि उन्हें मई 2014 से मनरेगा की 52 दिन की मजदूरी पंचायत द्वारा नहीं दी जा रही है। इस बावत वे बीडीओ से भी मिले, लेकिन वहां भी निराशा ही मिली। सरधवार पंचायत की कला देवी और संधोट पंचायत की कांता देवी आदि ने भी कार्यालय में इसी तरह की शिकायतें दर्ज करा रखी हैं।
मनरेगा लोकपाल जेसी शर्मा से मीडिया ने बात की तो उन्होंने भी कहा कि- “नियमानुसार लोकपाल कार्यालय डीआरडीए परिसर में होना चाहिए। मगर यहां ऐसा नहीं किया जा रहा। मैं अकेला कार्यालय का सारा काम देख रहा हूं, जबकि यहां तैनात स्टेनो बिना बताए पिछले कई दिनों से नहीं आ रही है। इससे मुझे आर्डर लिखने व अपने कोर्ट केस की कार्रवाई करने में दिक्कत आ रही है। मेरे पास बड़ी संख्या में शिकायतें लंबित पड़ी हैं।”
मंडी के उपायुक्त संदीप कदम से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि- “इस कार्यालय में एक कर्मचारी तैनात किया गया है। अगर वह नहीं आ रहा है तो इस बारे निर्देश जारी किए जाएंगे कि वे जल्द से जल्द लोकपाल कार्यालय में रिपोर्ट करें। उपायुक्त परिसर में लोकपाल कार्यालय के लिए फिलहाल जगह नहीं है, क्योंकि पहले ही एक दर्जन विभाग के अधिकारी यहां कमरा मांग रहे हैं।”