शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं की निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए निर्माताओं और
उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में जल विद्युत क्षेत्र में निवेश के लिये उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिये विशेष कदम उठा रही है। सरकार ने निर्णय लिया है कि अब विद्युत उत्पादकों को जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित करने के लिए सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य, लोक निर्माण, राजस्व और मत्स्य पालन विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि जल विद्युत सबसे अधिक राजस्व सृजित करने वाले क्षेत्रों में से एक है और परियोजनाओं को स्थापित करने से पूर्व स्थानीय लोगों और बनाई गई स्थानीय समितियों से सलाह-मशविरा किया जाता है। इसके अतिरिक्त परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिये स्थानीय क्षेत्र विकास निधि बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सामाजिक और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के लिये पर्याप्त मुआवजा राशि उपलब्ध करवाना सुनिश्चित बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 27,436 मैगावाट जल विद्युत उत्पादन की सम्भावना है, जिसमें से 9,202.89 मैगावाट का दोहन किया जा चुका है और 11361 मैगावाट की परियोजनाओं का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया।
ऊर्जा मंत्री सुजान सिंह पठानिया ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्तमान जल विद्युत संभावनाओं को बढ़ाने और निवेशकों को विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान कर निवेश के लिये आमंत्रित करने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम का गठन किया है। उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर जल विद्युत क्षेत्र का विकास प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है, क्योंकि प्रदेश के राजस्व सृजन में इसकी महत्वूपर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि दो जल विद्युत परियोजनाओं- सौ मैगावाट की सैंज तथा 65 मैगावाट की कशांग-1 में अगले वर्ष से विद्युत उत्पादन आरम्भ हो जाएगा।
हि.प्र. ऊर्जा निगम सीमित के प्रबन्धक निदेशक देवेन्द्र के. शर्मा, केन्द्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष आर. जेयासीलन और केन्द्रीय बोर्ड सिंचाई एवं ऊर्जा के सचिव वी.के. कन्जलिया ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। विधायक रवि ठाकुर, मुख्य सचिव पी.मित्रा, प्रधान सचिव ऊर्जा एस.के.बी.एस. नेगी, राष्ट्रीय जल विकास एजेन्सी के महानिदेशक मसूद हुसैन और अरूणाचल प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एच. के. पालीवाल आदि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।