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सुंदरनगर। मंडी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। गांवों में इन दिनों वायरल फीवर और स्क्रब टाइफस तेजी से फैल रहा है, जिस कारण अस्पतालों में सारा दिन भारी भीड़ लगी रहती है, लेकिन चिकित्सकों और दवाओं के अभाव के कारण निराशा ही हाथ लग रही है। जिले में कुल 165 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 40 केवल फार्मासिस्ट के सहारे ही चल रहे हैं, जबकि 13 स्वास्थ्य केंद्रों में न डॉक्टर है और न ही फार्मासिस्ट। सुंदरनगर, सिराज और करसोग हलके में 13 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही हैं। दवाइयों का भी भारी टोटा है। मरीज स्वास्थ्य केंद्रों से खाली हाथ लौटने को मजबूर रहे हैं।
बरसात का मौसम समाप्त होने को है। इन दिनों लोगों को चर्म रोग, दस्त, वायरल, नेत्र रोग, टायफाइड और पीलिया आदि के प्रकोप की शिकायतें आम हो गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में दिन भर मरीजों का भारी जमावड़ा लगा रहता है, परंतु कोई राहत नहीं मिल रही। जानकारों के अनुसार गुडूची, क्वाथ, रस, चूर्ण, भस्म, गुगल, अश्व, रिष्ट, तेल और वटी आदि दवाइयां आयुर्वेद का मुख्य आधार है, परंतु अधिकतर केंद्रों में यह उपलब्ध ही नहीं हैं।
सुंदरनगर उपमंडल की दुर्गम पंचायत बटवाडा में पांच साल से न डॉक्टर है और न ही फार्मासिस्ट। यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मरीजों का उपचार कर रहा है। ग्रामीण इलाकों में आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र ही लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाते हैं, परंतु केंद्रों में दवाएं नहीं मिलने के कारण मरीज परेशान हैं। जिला आयुर्वेदिक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. खेम सिंह से इस संबंध में बात की गई तो कहना था कि विभाग ने पर्याप्त स्टाफ की मांग उच्च अधिकारियों को भेज दी है। जिन आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर और फार्मासिस्ट नहीं हैं, वहां दवाओं की आपूर्ति नहीं की जा रही है।