चंबा (भरमौर)। हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक लोक संस्कृति के दर्शन करने हों तो चंबा जिला एक आदर्श जगह साबित हो
भरमौर के चौरासी मंदिर परिसर में एक ओर मणिमहेश यात्रियों का नृत्य चल रहा है तो दूसरी ओर मेले में सजी दुकानें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। लेकिन दर्शकों की सबसे अधिक भीड़ एक नन्हें बालक और उसकी वृद्ध दादी द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे पारंपरिक मुसादा गायन सुनने के लिए उमड़ी है।
नौ वर्षीय बालक पितेश अपनी दादी हीलो देवी के साथ मुसादा गायनव वादन में तल्लीन था और सैकड़ों लोग उन्हें एक टक निहारे जा रहे थे। बालक की अंगुलियों में जादू था तो आवाज में ऐसी मिठास थी कि हर कोई उसके पास आकर मंत्रमुग्ध हो जाता।
भरमौर विधानसभी क्षेत्र के अंतर्गत गैहरा पंचायत का पितेश अभी चौथी कक्षा में पढ़ता है, लेकिन उसके दादा-दादी ने अपनी पारंपरिक विरासत को इस नन्हे बालक के भीतर मानो उडेल दिया है। पितेश के साथ युगल मुसादा गाने वाली उसकी दादी हीलो देवी ने बताया कि उसके चार पोते-पोतियों में पितेश सबसे छोटा है। दादा-दादी से लगाव होने के कारण वह उनके साथ अधिक वक्त बिताता है। इसी कारण वह मुसादा गायन में कुशल हो रहा है।
हिलो देवी ने बताया कि पितेश रागों पर आधारित मुसादा गायन पर ध्यान दे रहा है। अगर इसी तेजी से वह मुसादा गायन सीखता रहा तो आने वाले समय में चंबा के बेहतरीन मुसादा गायकों में अपनी जगह बनाने में कामयाब होगा। स्कूल से आकर पितेश अकसर रियाज में जुट जाता है और सीखने के लिए दादा दादी से जिद्द भी करता है। पितेश ने भी कहा कि उसे गाने- बजाने का बहुत शौक है। इसीलिए वह जिद्द करके दादी के साथ भरमौर के मेलों में आकर गायन कर रहा है।
भरमौर पंचायत के प्रधान शिव चरण कपूर ने बताया कि इस छोटे से बच्चे में इतना हुनर भरा है, इसके बारे में उन्हें पता ही नहीं था। अन्यथा वे इसे पंचायत द्वारा प्रायोजित सांस्कृतिक संध्याओं में अवश्य इसे कार्यक्रम पेश करने का मौका देते। उन्होंने कहा कि वे प्रशासन से आग्रह करेंगे कि पारंपरिक लोक कलाओं प्रोत्साहित करने के लिए पितेश और उसकी दादी को उचित मंच प्रदान कराएं।