शिमला। पुलिस की बढ़ती गुंडागर्दी से हिमाचल भी अछूता नहीं है। पुलिस थाने से आए
सीपीआई (एम) के पूर्व राज्य सचिव राकेश सिंघा, नगर निगम शिमला के महापौर संजय चौहान, उप महापौर टिकेंद्र सिंह पंवर, पीड़ित कैलाश चंद और पीड़ित की माता भीमा देवी के बयानों से जो कहानी उभर कर सामने आई, वह निम्न प्रकार हैः
तत्तापानी क्षेत्र के वासी कैलाश चंद के भाई बलबीर ने कुछ दिन पूर्व किसी व्यक्ति से एक फोन खरीदा था। गत 24 अक्तूबर को जब बलबीर अपने भाई कैलाश के साथ सुन्नी में था तो बिलासपुर जिला के घुमारवीं थाना से उसे एक फोन आया, जिसमें पुलिस ने कहा कि आपने जो फोन खरीदा है, वह वास्तव में चोरी का है। इसलिए तुरंत फोन लेकर घुमारवीं थाना में पहुंचो। वहीं पर मौजूद कैलाश चंद को संदेह हुआ कि शायद कोई उसके भाई के साथ मजाक कर रहा है। उसने फोन लेकर पुलिस से कहा कि क्या आप पुलिस वाले हो या फिर कोई और ही बोल रहे हो। यह भी कहा कि घुमारवीं बहुत दूर है, वे सुन्नी थाना के अंतर्गत आते हैं, इसलिए वहीं पर मामले की जांच कराई जाए। उसके बाद कैलाश और उसका भाई सुन्नी थाना गए और सारा किस्सा सुनाया। अब तक घुमारवीं के थाना प्रभारी भड़क चुके थे। वहां से फोन कर उन्हें चेतावनी दी गई कि वे वहीं पर रहें, पुलिस उन्हें लेने आ रही है। एक गाड़ी में पुलिस के जवान आए और दोनों को उसमें भर कर घुमारवीं थाने में ले गए। वहां पुलिस कर्मियों का घेरा बनाकर दो कर्मियों- प्रकाश और विजय ने कैलाश को लेटाकर उसकी डंडों से निर्मम पिटाई शुरू कर दी । पुलिस वाले एक ही रट लगाए हुए थे कि- “अपने आपको बड़ा वकील बनता है?” वह थाने में चीखता- चिल्लाता रहा, लेकिन बाकी सभी पुलिस वाले उसका तमाशा देखते रहे।
कैलाश चंद ने मीडिया को बताया कि इसी बीच पुलिस वालों को संदेह हुआ कि पिटाई से कहीं उसकी टांग तो नहीं टूट गई। उन्होंने उसे जब्री खड़ा किया और चलने के लिए कहा। कैलाश ने उन्हें बताया कि उसकी टांग में बहुत दर्द हो रहा है। इसी बीच कैलाश की माता भीमा देवी उसे लगातार फोन करती रही, लेकिन पुलिस वालों ने धमका कर उसे सच्चाई नहीं बताने दी। अगले दिन पुलिस ने किसी निजी मेडिकल प्रेक्टिश्नर से उसे दर्द निवारक गोलियां दिलाकर घर भेज दिया। उसे धमकी दी गई कि यदि उसने थाने में पिटाई की बात किसी से भी कही तो उसकी फिर से पिटाई की जाएगी।
यह मामला जैसे ही सीपीआई (एम) के पूर्व राज्यसचिव राकेश सिंघा के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत पुलिस के उच्च अधिकारियों से संपर्क साध कर इसकी शिकायत की। माकपा नेताओं के अनुसार इसके साथ ही पुलिस में लीपापोती का खेल शुरू हो गया। उन्होंने कैलाश का आईजीएमसी शिमला में मेडिकल कराने के लिए कहा तो पुलिस घुमारवीं अस्पताल में ही मेडिकल कराने के लिए अड़ गई। कैलाश को घुमारवीं अस्पताल पहुंचाया तो वहां भी टालमटोल शुरू हो गई। फिर मेडिकल तो किया, लेकिन उसकी रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया। अंततः कैलाश को उसी हालत में शिमला लाया गया और आईजीएमसी में उसका मेडिकल कराकर उपचार शुरू कराया।
माकपा नेताओं ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में कैलाश की टांग में मेजर फ्रेक्चर है। डाक्टर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इसका तुरंत उपचार किया जाना जरूरी था। हो सकता है अब उसकी टांग का आपरेशन भी करना पड़ जाए।
राकेश सिंघा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के साफ दिशा निर्देश है कि किसी की भी गिरफ्तारी के वक़्त तीन शर्तें पुलिस को पूरी करनी होती है। पहली यह कि किसी को भी गिरफ्तार करने पर उसे उसका जुर्म बताना होगा, दूसरे घर के किसी सदस्य को उसकी गिरफ्तारी की सूचना देनी होगी और तीसरी शर्त यह कि गिरफ्तार व्यक्ति का मेडिकल करवाया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि घुमारवीं पुलिस ने इस मामले में किसी भी शर्त का पालन नहीं किया है।
माकपा नेता ने सरकार से मांग की है कि घुमरावीं थाने के पूरे स्टाफ को तुरंत निलंबित किया जाए और पीड़ित कैलाश और उसके परिवार को उचित मुआवज़ा दिया जाए। उन्होंने कहा कि माकपा इस प्रकरण को किसी भी हद तक ले जाने के लिए कृत संकल्प है।