देहरादून। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों के लिए यह एक बड़ी राहत साबित हो सकती है।
यतींद्र अग्रवाल, जो बिजनेस कंसलटेंट भी हैं, ने अमेरिकी तकनीक से उत्तरकाशी जिले के झाला में एक कोल्ड स्टोर तैयार किया है, जिस पर कुल डेढ़ लाख रुपये की लागत आई है। इसी तरह का दूसरा कोल्ड स्टोर वे जोशियाड़ा में बना रहे हैं। बागवानी विशेषज्ञ भी इसे सेब बागवानों के लिए यतींद्र अग्रवाल के एक तोहफे के रूप में देख रहे हैं। अभी तक यहां कोल्ड स्टोर का जो मॉडल उपलब्ध है, उसे बनाने की लागत करोड़ों में आती है, जोकि छोटे बागवानों के लिए संभव ही नहीं है।
यतींद्र अग्रवाल ने झाला में 20 गुणा 20 आकार के कमरे को थर्मोकोल और तापमान नियंत्रक मशीन के जरिये कोल्ड स्टोर का रूप दिया है। इसमें फसल को खराब होने से बचाने के लिये जरूरी स्प्रे और अन्य जरूरतों का भी ध्यान रखा गया है। देश भर में ही इस तरह की तकनीक पहले कभी नहीं अपनाई गई है, जबकि अमेरिका में बागवान लंबे समय से इस तरह के कोल्ड स्टोर का प्रयोग करते आ रहे हैं।
मुंबई आइआइटी से पासआउट यतींद्र अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने इंटरनेट पर ही इस तकनीक के बारे में पता किया। उसके बाद उन्होंने जरूरी उपकरण और डिजाइन अमेरिका से मंगाए। बीते करीब दो माह से वे झाला और जोशियाड़ा में इस तकनीक पर आधारित कोल्ड स्टोर बना रहे हैं। स्थानीय सेब उत्पादक इससे बहुत उत्साहित हैं और कामना कर रहे हैं है कम लागत वाले छोटे कोल्ड स्टोर का यह प्रयोग सफल हो।
यतींद्र अग्रवाल कहते हैं कि यह तो अभी शुरुआत है। इस दिशा में अभी और भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। बागवानों को मार्किट के प्रति भी जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि वे बाजारी मांग के अनुरूप ही अपने उत्पाद बेचने के लिए भेजें । इससे जहां उन्हें अपने उत्पाद के अच्छे दाम मिलेंगे, वहीं फसल काफी समय तक खराब भी नहीं होगी।
उत्तरकाशी के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश राम भी कहते हैं कि कम लागत वाले आधुनिक कोल्ड स्टोर वास्तव में ही बागवानों के लिए बरदान साबित हो सकते हैं, क्योंकि सड़कों की हालत ठीक नहीं होने के कारण अकसर बागवान अपने उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं और करोड़ों रुपये की फसलें बर्बाद हो जाती है। इसलिए छोटे कोल्ड स्टोर का यह प्रयोग वास्तव में ही स्वागत योग्य है।