कुल्लू। कुल्लू घाटी की ट्राउट फिश देश भर में विख्यात है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जब भी अपने घर
वर्ष 2005 में तीर्थन नदी में आई बाढ़ से यहां हामणी ट्राउट फार्म क्षतिग्रस्त हो गया था। उसके बाद इस फार्म को दुरुस्त करने के नाम पर जोरदार खेल शुरू हुआ। तुरंत ही 3.33 करोड़ रुपये का बजट पारित कराकर युद्धस्तर पर फार्म के पुनर्निर्माण काम शुरू कर दिया गया। जैसे तैसे बजट ठिकाने लगाकर 2008 में निर्माण पूरा हो जाने की घोषणा कर दी गई। लेकिन ग्रामीण पूछ रहे हैं कि अब तो 2015 का भी आधा वर्ष बीत गया है, हामणी का यह ट्राउट फार्म क्यों संचालित नहीं किया जा रहा? हालांकि स्थानीय लोग हकीकत जानते हैं और कहते हैं कि जहां बजट ठिकाने लगाने की होड़ लगी हो वहां काम नहीं हुआ करते।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक पिछले साल हैचरी में कार्य शुरू भी किया गया था, किंतु स्रोत का वाटर लेवल हैचरी के टैंकों से नीचे होने के कारण पानी की आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं चल सकी। अब ट्राउट फार्म बिन पानी उजाड़ पड़ा है।
जिला कुल्लू ट्राऊट कंजरेवेशन एवं एंग्लिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशेर ठाकुर और महासचिव कृष्ण संधू कहते हैं, ‘‘यह बहुत अफसोसजनक है जो करोड़ों रूपये खर्च करने का बावजूद हैचरी काम नहीं कर रही है। अभी भी दूर बरोट स्थित हैचरी से ही अंगुलिकाएं ला कर नदी- नालों में डालनी पड़ रही हैं। इनमें से काफी मात्रा में अंगुलिकाएं रास्ते में ही मर जाती हैं।’’
तीर्थन घाटी में ट्राउट के संरक्षण पर कार्य कर रही संस्था सहारा के निदेशक राजेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि तीर्थन नदी ट्राउट मछली के लिए बहुत अनुकूल है। इस नदी में भारी मात्रा में ट्राउट का उत्पादन किया जा सकता है तथा इससे स्थानीय लोगों की आर्थिकी में भी सुधार लाया जा सकता है। लेकिन सरकार और विभागीय लापरवाही के कारण घाटी में ट्राउट को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। हामणी का ट्राउट फार्म इसकी एक मिसाल है।
उधर, मत्स्य विभाग के उपनिदेशक विजय कुमार पुरी से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि हामणी ट्राऊट हैचरी के निर्माण का कार्य हिमुडा को दिया था, लेकिन हैचरी के लिए जो पानी के टैंक बनाए गए हैं उनका निर्माण सही ढंग से नहीं किया गया है, जिस कारण फार्म में पानी छोडऩे में कठिनाई आ रही है। हिमुडा को उसे ठीक करने को कहा गया है और इसके लिये अतिरिक्त तीस लाख रुपये भी जमा करवा किए गए हैं।