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कुल्लू। बंजार उपमंडल में फागली उत्सव बड़े अनूठे ढंग से मनाया जाता है। भगवान विष्णु नारायण को समर्पित इस उत्सव के दौरान स्थानीय देवता के कारकुन घास से बने चोले पहनकर कबीरी नृत्य करते हैं और गालियां देते हुए राक्षसों को भगाते हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद राक्षसों को भगाने के लिए देवताओं ने यही नृत्य किया था। अब नृत्य के दौरान राक्षसों को गालियां भी दी जाती हैं। बंजार घाटी के विभिन्न गांवों में गत दिवस हर्षोल्लासपूर्वक आरंभ हुआ यह उत्सव पूरे एक सप्ताह तक चलेगा।
बीणी गांव में उत्सव का शुभारंभ करते हुए गत दिवस हारियानों ने यह नृत्य किया। इस दौरान देवता के कारकून ने मढयालें बनकर शरूली नामक घास के चोले पहन कर लगभग डेढ़ घंटे तक नृत्य किया। परंपरा है कि इस कड़ी में नृत्य करने वाले को व्रत रखना पड़ता है। फिर क्रम आधार पर सभी मढयालें गांव के एक व्यक्ति के घर पर जाकर भोजन करते हैं। देवता के कारकुन और इस नृत्य में भाग लेने वाले रुपेश, ललित, बीनू डोगरा, कुंभदास डोगरा, शिवराज विष्ट, चेतराम विष्ट आदि ने बताया कि उन्हें इस नृत्य में असीम आनंद मिलता है। प्राचीनकाल से ही उनके परिवार के लोग इस देव परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। बंजार उपमंडल के बेहलो, बाहू, चैहणी, देउठा, चेडा, फरयाडी, शीली, पेखडी, चेथर, गोशाला व छेत आदि कई गांवों में भी इसी प्रकार फागली उत्सव मनाया जा रहा है।