उत्तरकाशी (पुरोला)। मोरी प्रखंड में एक ग्राम प्रधान ने सभी नियमों को ताक में रख कर अपने ही परिवार के सात सदस्यों को इंदिरा
मोरी प्रखंड में कुकरेड़ा गांव के वासियों- गोपाल सिंह, माधो सिंह, सुमन सिंह, कमल सिंह, सुरेंद्र सिंह, सुलेमान, प्रेम सिंह और अव्वल सिंह ने मीडिया को बताया कि शासन की ओर से किए सर्वे में गांव में 100 आवास विहीन परिवारों का चयन इंदिरा आवास के लिए किया गया था। ग्राम प्रधान चतर सिंह ने वास्तविक जरूरतमंदों को नजरंदाज कर अपने ही परिवार के सुंदर सिंह, चतर सिंह, सरला देवी, जलमी देवी, ऊषा देवी, कुंभा और च्वार देवी को इस योजना के लिए चयनित कर उन्हें ही मकान बनाने के लिए राशि आवंटित करवा दी, जबकि इन सातों परिवारों के पास पहले से ही पक्के भवन उपलब्ध हैं। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि इन सातों परिवारों ने योजना के तहत भवन तो बनाए नहीं बल्कि उन्हें बाद में आपदा में ध्वस्त दिखाकर फर्जी रूप से अलग से राहत राशि भी डकार ली।
ग्रामीणों ने इस मामले में जिलाधिकारी से उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि दोषियों से पूरी रिकवरी करवाकर पात्र लोगों को इस योजना का लाभ उपलब्ध करवाया जाए।
कुकरेड़ा के ग्राम प्रधान चतर सिंह का इस संबंध में कहना है कि पात्र लोगों को वर्ष 2002 के सर्वे की बीपीएल सूची के आधार पर ही आवास आवंटित किए गए हैं। आवास आवंटन में ब्लॉक कार्यालय की ही मुख्य भूमिका होती हैं। इसलिए उन पर (प्रधान पर) लगाए गए आरोप निराधार हैं।
पुरोला के एसडीएम आरके पांडेय से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था, “मामला बेहद संवेदनशील है, इसकी जांच करवाई जाएगी। यदि ग्रामीणों के आरोपों में सत्यता पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और योजना के पैसे की रिकवरी भी करवाई जाएगी।”