शिमला।भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों और भावी चुनौतियों को लेकर शीघ्र ही प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी। यह निर्णय बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर यहां आयोजित पार्टी के एक राज्य स्तरीय अधिवेशन में लिया गया। देशव्यापी भोजन का आधिकार आंदोलन की अग्रणी नेता स्वाति नारायण ने अध्यक्षीय भाषण दिया, जबकि माकपा के राज्य सचिव राकेश सिंघा ने सम्मेलन की प्रस्तावना रखी।
स्वाति नारायण ने देश भर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खाद्य सुरक्षा कानून की स्थिति तथा भविष्य की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और आह्वान किया कि देश को पूरी तरह भूख रहित करने के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।
राकेश सिंघा ने कहा कि पूंजीवादी ताकतों की हितैषी केंद्र सरकार की नीतियों के कारण आम जनता के अधिकारों पर हमले लगातार तेज हो रहे हैं। नए बने खाद्य सुरक्षा कानून में अनेक खामियां हैं, लेकिन जो प्रावधान उसमें किए गए हैं उन्हें भी सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि इसी कारण प्रदेश में भी राशन का कोटा घटाया जा रहा है और इसमें दी जाने वाली सब्सिडी से छेड़छाड़ की जा रही है।
माकपा नेता ने कहा कि आगामी नवंबर माह तक आम जानता के अधिकारों पर इस तरह के हमले और तीब्र होने की आशंका है। कुकिंग गैस की कीमतों पर भी कैंची चलने वाली है। इससे निपटने के लिए हमें अभी से तैयारी शुरू करनी पड़ेगी।
माकपा के राज्य सचिवालय सदस्य कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 90 प्रतिशत से अधिक आबादी भोजन के लिए पूरी तरह सार्वजनिक वितर प्रणाली पर निर्भर है। यदि यह सुविधा लोगों से छिन जाती है या इसमें किसी तरह की कमी आती है तो जनता में हाहाकार मच जाएगा।
अधिवेशन में सभी जिलों से आए वक्ताओं ने अपने- अपने क्षेत्रों की स्थिति पर जो प्रकाश डाला उससे भी यही तस्वीर उभर कर सामने आई कि- डिपुओं में आने वाले राशन की क्वालिटी अत्यंत घटिया है, आपूर्ति भी नियमित नहीं है और कालाबाजारी का जोर है।
माकपा के राज्य सचिवालय सदस्य टिकेंद्र सिंह पंवर और राज्य कमेटी सदस्य फालमा चौहान ने भी अपने विचार प्रकट किए।