उत्तरकाशी। उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में विकास पतन की ओर अग्रसर है। उत्तरकाशी जिला में मोरी प्रखंड के तहत
तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के समय इस फतेपर्वत क्षेत्र में इस्त्रागाड धौला जलविद्युत परियोजना की स्थापना की गई थी। योजना निर्माण के बाद 12 वर्षों तक ये गांव बिजली की रोशनी से जगमग रहे, लेकिन अब पिछले पांच वर्षों से ग्रामीण वापस दीपक की रोशनी पर निर्भर हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 में मॉनसून के दौरान परियोजना की नहर कुछ जगह धंस कर क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिस कारण क्षेत्र के दोणी, मसरी, भितरी, खन्यासणी, खन्ना व पुजेली गांवों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मॉनसून बीतने के बाद परियोजना को ठीक कर आपूर्ति बहाल हो जाएगी, लेकिन इंतजार करते- करते पांच वर्ष बीत गए, परंतु सरकार की ओर से उनकी सुध लेने कोई नहीं आया।
आज स्थिति यह है कि परियोजना की करोड़ों की मशीनरी जंग खा रही है। टरबाइन सड़क पर पड़ी है। संबंधित विभाग ने न परियोजना को ठीक किया और न ही किसी दूसरी परियोजना से ही इन गांवों को जोड़ा। बिना बिजली के तमाम संचार माध्यम भी ठप पड़े हैं। लोगों को मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए भी मोरी पहुंचना पड़ता है।
उरेडा के परियोजना अधिकारी इंजीनियर मनोज कुमार से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि इस परियोजना के पेनस्टोक पाइप से गुजरने वाला हिस्सा स्लाइडिंग जोन में तब्दील हो चुका है। 2010 के बाद यहां लगातार धंसाव हो रहा है, जिससे कई मुश्किलें सामने आ रही हैं। लेकिन, उरेडा इसके बावजूद मरम्मत के काम में लगा हुआ है। जल्द इस परियोजना से उत्पादन शुरू किया जाएगा।