अल्मोड़ा (रानीखेत)। इसे उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की कानून व्यवस्था के ज्वलंत उदाहरण के रूप में देखा जा सकता
रानीखेत से कुछ दूर चिलियानौला कस्बे में दिल्ली निवासी सुषमा चड्ढा का एक गेस्ट हाउस है। मई आखिर में महिला ने सपरिवार यहां आने का कार्यक्रम बनाया। इसी कारण उन्होंने 31 मई को अपने नौकर सुनील कुमार नायक को साफ सफाई के लिए भेजा। तहरीर के मुताबिक अगली सुबह नौकर ने सुषमा चड्ढा को फोन पर गेस्ट हाउस में चोरी होने की सूचना दी। घबराई हालत में सुषमा चड्ढा दो जून को बेटे गौरव के साथ चिलियानौला पहुंचीं। चोर गेस्ट हाउस से लाखों का सामान उड़ा ले गए थे। उन्होंने इस मामले में राजस्व पुलिस के नायब तहसीलदार मोहन सिंह नेगी को इसकी तहरीर दी। नायब तहसीलदार ने मामला रेगुलर पुलिस के अधिकार क्षेत्र का बताकर कोतवाली भेज दिया। लेकिन कोतवाली वालों ने घटना स्थल को राजस्व क्षेत्र का बताकर महिला को बेरंग लौटा दिया। आज तीन सप्ताह बीतने पर भी सुषमा चड्ढा बार- बार कभी राजस्व पुलिस और रेगुलर पुलिस के पास चक्कर काट रही है, लेकिन सीमा विवाद में उलझे होने के कारण कोई भी केस हाथ में लेने को तैयार नहीं है। इस अजीब स्थिति से सुषमा हैरान परेशान है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि उसकी चोरी की रिपोर्ट का क्या होगा ?
इधर, नायब तहसीलदार ने एक बार फिर तहरीर कोतवाली के पाले सरका कर घटना स्थल को रेगुलर पुलिस का बताया है। गेस्ट हाउस की मालकिन ने थक हार कर अब पुलिस व प्रशासन के उच्चाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है।
राजस्व पुलिस के नायब तहसीलदार मोहन सिंह नेगी से मीडिया ने इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा, ‘‘वारदात से हमारा कोई मतलब नहीं। चिलियानौला में जहां वारदात हुई है वह कोतवाली पुलिस के अधीन है। हमने तहरीर रेगुलर पुलिस के हवाले कर दी है।”
उधर, कोतवाल पीएल वर्मा कहते हैं, “ऐसा नहीं है। हमने चेक करा लिया है। वारदात कोतवाली नहीं राजस्व पुलिस के क्षेत्र में हुई है। नायब तहसीलदार को राजस्व पुलिस के माध्यम से जांच करानी चाहिए ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके।”