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अल्मोड़ा (भिकियासैंण)। पहाड़ी क्षेत्रों में पशु बलि प्रथा को लेकर श्रद्धालुओं और प्रशासन के मध्य टकराव की घटनाएं लगातार जारी हैं। गत दिवस भी काली मां की पूजा में पशु बलि को लेकर तहसील के दो स्थानों पर श्रद्धालुओं और प्रशासन में काफी गर्मा गर्मी हुई और अधिकारियों ने बड़ी मुश्किल से बलि के लिए लाए गए पशुओं को श्रद्घालुओं से मुक्त कराया। श्रद्धालुओं ने प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रशासन और मंदिर कमेटी के सदस्यों के बीच घंटों चली समझौता वार्ता के बाद अंततः प्रशासन ने पशुओं को अपने कब्जे में लिया।
तहसील के बाजन देवी मंदिर में मंगलवार को काली मां की पूजा अर्चना थी। इस मौके पर बड़े महानगरों समेत स्थानीय श्रद्धालु पूजा अर्चना को पहुंचे थे। यहां मां काली की पूजा अर्चना के दौरान वर्षों से भैंसे की बलि देने की परम्परा है। मंगलवार को जब प्रशासन को इस बात की भनक लगी तो तहसीलदार राधे राम और एसओ अशोक कुमार दल बल के साथ मंदिर परिसर में पहुंचे। प्रशासन की कार्रवाई को देख श्रद्धालु भड़क गए और उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। ग्रामीणों का कहना था कि 2 अगस्त से उनकी पूजा अर्चना चल रही है, लेकिन प्रशासन ने इस बीच उनसे इस संबंध में कोई वार्ता नहीं की। अब जब पूजा का अंतिम दिन था तब प्रशासन ने मौके पर पहुंच कर पूजा में विघ्न डालने का प्रयास किया। घंटों चली बातचीत के बाद अंततः श्रद्धालुओं ने बलि के लिए लाए गए भैंसे के साथ परिक्रमा कर उसे प्रशासन को सौंप दिया।
उधर, दलमोड़ी में भी पशुबलि को लेकर श्रद्धालुओं और प्रशासन के अधिकारियों के बीच जमकर हंगामा हुआ। वहां भी बाद में वार्ता के बाद श्रद्धालुओं ने बलि के लिए लाए गए पशुओं को प्रशासन के हवाले कर दिया। वार्ता के दौरान उप राजस्व निरीक्षक ईश्वर रौतेला, राजेन्द्र लाल वर्मा, प्रधान कांती देवी, मालगुजार गंगा सिंह, खीम सिंह, शेर सिंह, नरेन्द्र बिष्ट, जगत सिंह, चंदन सिंह, शिव सिंह, अनोप सिंह, नंदन सिंह, भुवन सिंह, दिनेश चंद्र, दीवान सिंह, पूरन सिंह, राम सिंह, गुसाई राम, बालम सिंह, लाल सिंह आदि मौजूद थे।