बागेश्वर (कौसानी) गर्मियां तीखी होते ही मिनी स्विटजरलैंड के नाम से विख्यात कौसानी में पर्यटकों की आवाजाही
प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज कौसानी में वैसे तो वर्ष भर ही पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन ग्रीष्म ऋतु में उनकी संख्या काफी बढ़ जाती है। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि सरकार का यहां पर्यटन को बढ़ावा देने में कोई योगदान नहीं है। अक्सर परेशानियां झेलने के बाद पर्यटक यहां दोबारा कभी नहीं आने का प्रण लेकर लौटते हैं। यही मंजर गत दिवस भी यहां देखने को मिला जब जयपुर से आए एक पर्यटक को गंभीर चोटें लग गई थीं। लेकिन स्थानीय अस्पताल में कोई भी चिकित्सक तैनात नहीं होने के कारण उसे उचित इलाज नहीं मिल पाया। अस्पताल की हालत देख कर घायल और उसके परिजन खूब झुंझलाए और यह कहते हुए लौटे कि वे यहां फिर कभी नहीं आएंगे।
जिला पंचायत सदस्य पुष्पा कोरंगा ने मीडिया को बताया कि वे चिकित्सक तैनात करने के लिए कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, परंतु आश्वासनों के सिवा कुछ भी हो रहा है। पर्यटन व्यवसायियों का कहना था कि चिकित्सक न होने के कारण यहां क्षेत्रीय जनता समेत पर्यटकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र ही अस्पताल में चिकित्सक तैनात नहीं किया गया तो वे आंदोलन छेड़ देंगे।
बीसूका बागेश्वर के उपाध्यक्ष भुवन पाठक का कहना था कि कौसानी जैसे पर्यटक स्थल में चिकित्सक न होना सरकारी लापरवाही का ही नतीजा है। इससे पर्यटक व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे शीघ्र ही स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत करेंगे।
पंत वीथिका के सालाना कार्यक्रम में भाग लेने के बाद विख्यात लेखक कल्लोल चक्रवर्ती अपने एक लेख में कहते हैं, ‘‘क्या यह वही कौसानी है, जिसकी प्रकृति ने पंत के कवि व्यक्तित्व का निर्माण किया? पंत की जन्म स्थली होने कारण जिस कौसानी का विकास होना चाहिए था, वहां आज अनेक बच्चे स्कूल ही नहीं जाते, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।’’