छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ राज्य में हाल ही में हुए पंचायती राज चुनावों की धूम अभी तक बरकरार है। चुनाव
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से लगे हुए उसलापुर गांव की किरण बाई पिछले हफ़्ते चुनी गई गांव की सरपंच संतोषी ठाकुर से बेहद नाराज़ हैं। किरण बाई आक्रोश और दुख के मिले-जुले स्वर में कहती हैं, “चुनाव प्रचार के समय संतोषी ठाकुर ने हमें वोट देने के लिए चांदी का सिक्का दिया था। अब पता चला कि जिस सिक्के के बदले हमने संतोषी बाई को सरपंच चुना, वो सिक्का तो नक़ली है!” चुनाव परिणाम आने के बाद ‘चांदी‘ के सिक्के नक़ली निकलने की शिकायत करने वाली महिलाओं की संख्या सैकड़ों में है।
ये महिलाएं ज़िले के कलेक्टर के पास भी चांदी के नक़ली सिक्के लेकर पहुंचीं और उन्होंने मांग की कि ऐसी ‘धोखेबाज़‘ सरपंच को हटाया जाए। हालांकि सरपंच ऐसा कोई सिक्का बांटने से इंकार कर रही हैं।
ज़िले के निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि चुनाव से पहले अगर यह शिकायत मिलती तो आचार संहिता का मामला बनता। बकौल निर्वाचन अधिकारी, “हमने इस मामले में जांच के आदेश एसडीएम को दिए हैं।”
बलौदा बाज़ार ज़िले के लटुआ गांव में तो हारे हुए प्रत्याशी ने गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाल कर लाउडस्पीकर पर मतदाताओं को साफ़ चेतावनी दे दी कि उनके दिए हुए उपहार और पैसे वापस लौटाए जाएं। ऐसा न करने पर प्रत्याशी ने मतदाताओं की ‘पिटाई‘ का भी ऐलान किया है।
कांकेर के दुर्ग कोंदल से ख़बर आई है कि एक पंच ओमप्रकाश दुग्गा ने चुनाव से पहले मतदाताओं को मिठाई और अपना चुनाव चिह्न फावड़ा बांटा। ओमप्रकाश ने 21 फावड़े बांटे थे, लेकिन उन्हें 11 वोट ही मिले। अब उन्होंने गांव के लोगों से अपना फावड़ा वापस मांगना शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय कहते हैं, “ये लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करने वाली घटनाएं हैं और सरकार को इस दिशा में संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।”