मंडी। हिमाचल प्रदेश में श्रद्धालुओं की आस्था पर डाका लगातार जारी है। मंदिरों में लूट की वाररदातें इस कदर बढ़ चुकी हैं कि अब
सर्दियों में बर्फबारी के समय कमरूनाग मंदिर परिसर में वीरानी छाई रहती है। कारदार मंदिर और झील के खजाने की रखवाली देवता के भरोसे छो़ड कर चले आते हैं। श्रद्धालु भी इस दौरान बहुत कम ही मंदिर में आते हैं। खबर है कि चोरों ने सही मौका भांप कर झील पर जमी बर्फ तोड़ी और उसमें से खजाना निकाल लिया।
मंडी जनपद के अराध्य देव श्री कमरूनाग की झील में डाका पड़ने का खुलासा गत सोमवार को उस समय हुआ जब श्रद्धालुओं की एक टोली मंदिर परिसर में पहुंची। श्रद्धालुओं ने जब झील में बर्फ के टुकड़े, उसमें से भारी मात्रा में खोदी गई मिट्टी और समीप ही जलाई गई लकडि़यों की राख को देखा तो हैरत में पड़ गए। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि चोरों ने झील पर जमीं बर्फ को तोड़ कर वहां से गाद निकाली और सदियों से जमा सोना-चांदी छांट कर निकाल ले गए।
श्री कमरूनाग देव के गूर धर्मदत्त ठाकुर ने सूचना मिलने पर इस घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि वे लोहड़ी के दिन सहयोगियों को साथ लेकर मंदिर जाएंगे और स्थिति का जायजा लेंगे। बनियूरि देव मंदिर निर्माण कमेटी के प्रधान भेद कुमार गुप्ता, श्री देव भलौटी के मुख्य कारिंदे चुड़ामणि (गुड्डू) व राणा देव काकड़, श्री देव बालाकामेश्वर के गूर महेश शर्मा, श्रीदेव भंगरोह के कारिंदे लेखराज शर्मा, माता सिंघवाहिनी के पुजारी मनोहर लाल शर्मा सहित देव समाज से जुड़े कई अन्य लोगों ने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और कहा है कि सरकार को मंदिरों की सुरक्षा के लिए ठोस पग उठाने चाहिए।
उल्लेखनीय है कि श्रद्धालुगण सदियों से मन्नतें पूरी होने पर कमरूनाग झील में सोना, चांदी, सिक्के और कागज की करंसी डालते हैं। धार्मिक मेलों के दौरान तो झील में बड़े पैमाने पर नोट तैरते देखे जाते हैं। नोटों को तो निकाल लिया जाता है, लेकिन सोना-चांदी और सिक्के जो डूब जाते हैं, उन्हें निकालना वर्जित किया गया है। मान्यता है कि इस तरह झील में करोड़ों रुपये की संपत्ति जमा है, जिसकी भगवान कमरूनाग स्वयं रक्षा करते हैं।