कांगड़ा। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने टांडा मेडिकल कॉलेज कांगड़ा से एमडी पासआउट करीब 30 चिकित्सकों की
टीएमसी से 2011 में विभिन्न विभागों में 55 के करीब चिकित्सकों ने एमडी की है। प्रोफेसरों की शैक्षणिक योग्यता के आधार पर इनमें से करीब 30 डाक्टरों की डिग्री पर आब्जेक्शन लगाए गए हैं। वैसे 2011 में एमसीआई की टीम के दौरे के बाद ही एमडी सीटों के लिए मंजूरी मिली थी। उस वक्त टांडा मेडिकल कालेज में सीटों के लिए मापदंड पूरे करने के बाद ही एमडी की पढ़ाई शुरू हुई थी। यहां हमेशा से आरोप लगते रहे हैं कि जब भी एमसीआई की टीम दौरे पर आती है तो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दिखाने के लिए यहां- वहां से स्टाफ एवं उपकरण जुटा लिए जाते हैं और टीम के लौटते ही व्यवस्था जस की तस हो जाती है। ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि यहां से डाक्टर की डिग्री पाने वाले कितने कुशल होंगे। एमसीआई ने पहली बार इस मामले में सख्ती दिखाई है।
टांडा मेडिकल कॉलेज के पूर्व एचओडी और उनके अधीन एमडी करने वाले छात्रों का भविष्य एमसीआई की रिव्यू इंस्पेक्शन ने लटका दिया है। टांडा मेडिकल कॉलेज के पूर्व एचओडी को 1995 में एमसीआई की टीम ने मेडिकल कॉलेज में बतौर अध्यापन कार्य के लिए रिकोग्नाइजेशन दे दी थी। इसके बाद हर साल रिव्यू के दौरान एमसीआई पूर्व एचओडी को मेडिकल कॉलेज में बतौर अध्यापन कार्य के लिए रिकोग्नाइजेशन देती रही। अब हाल ही में टांडा मेडिकल कॉलेज में औचक निरीक्षण पर आई एमसीआई की टीम ने इस पूर्व एचओडी को अध्यापन कार्य करने के लिए रिकोग्नाइजेशन देने से मना कर दिया। एमसीआई का तर्क है कि पूर्व एचओडी नॉन मेडिकल से हैं।
इस संबंद में टांडा मेडिकल कालेज के वाइस प्रिंसिपल डा. रमेश भारती का कहना है कि एमसीआई के मापदंडों के अनुसार ही डिग्रियों को मंजूरी मिलती है। कुछ एमडी डाक्टरों की डिग्रियों पर आब्जेक्शन हैं, इसे दूर करने की कोशिश की जा रही है।