हरिद्वार। उत्तराखंड में गन्ना किसानों के संकट का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा। चीनी मिलों
जिले में हर साल करीब साढे़ तीन हजार गन्ना कोल्हू संचालित होते हैं। एक कोल्हू 24 घंटे में डेढ़ सौ क्विंटल गन्ने की पेराई कर देता है। इस साल तो जिले में गन्ना कोल्हुओं के और बढ़ने की उम्मीद थी। ठेकेदारों ने भी समय पर कोल्हुओं के लिए जमीन का चयन कर लिया था, लेकिन उन्हें चलाने के लिए श्रमिक ही नहीं मिल रहे। ठेकेदार रिजवान अहमद, वकील और सुरेंद्र सैनी ने बताते हैं कि एक कोल्हू को चलाने के लिए 16 लोगों की जरूरत पड़ती है। इसमें गुड़ कारीगर से लेकर अन्य काम करने वाले सभी शामिल हैं।
अभी तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो चुड़ियाला रेलवे स्टेशन पर 31 की जगह 16, पुहाना में 38 में से 12, खाताखेड़ी में 24 में से 8 कोल्हू ही अभी तक चल पाए हैं, जबकि पेराइ सीजन शुरू हुए एक पखवाड़ा बीत चुका है। इससे कोल्हू ठेकेदार से लेकर गन्न किसान सभी परेशान हैं।
कहां चले गए गुड़ के कारीगरः हरिद्वार जनपद के पाड़ली गुर्जर, पनियाला, नगला कुबड़ा, अकबरपुर, कमेलपुर समेत दो दर्जन से अधिक गांवों में गुड़ के अच्छे कारीगर हैं। माना जा रहा है कि ये कारीगर या तो महाराष्ट्र चले गए हैं या फिर हरियाणा। ठेकेदार शमीम अहमद कहते हैं कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अक्तूबर से मई तक ही कोल्हू चलते हैं, जबकि महाराष्ट्र में 12 महीने कोल्हू संचालित होते हैं। इसके अलावा हरियाणा में भी रिकवरी अच्छी होने के कारण अच्छा मुनाफा होता है, जिस कारण हरियाणा की ओर भी कारीगर एवं श्रमिक रुख कर सकते हैं।