धर्मशाला। तिब्बतियों के प्रमुख धर्मगुरू दलाईलामा ने भी कुछ हिंदु ‘बाबाओं’ की तर्ज पर अधिक बच्चे पैदा करने का
दलाईलामा ने वीरवार को यहां तिब्बति महिला संगठन के अधिवेशन को संबोधित करते हुए तिब्बतियों की जनसंख्या कम होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसे बढ़ाना होगा। इसके बाद तिब्बती महिला संगठन ने अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर फैसला लिया कि क्षेत्रीय व केंद्रीय संगठन मिलकर इस ओर प्रयास करेंगे।
दलाईलामा ने अपने संबोधन कहा कि विशुद्ध तिब्बतियों की संख्या बढ़ानी होगी। जिन परिवारों के तीन से अधिक बच्चे हैं उन्हें आर्थिक संबल दिया जाए और उन परिवारों के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए भी प्रबंध किए जाने चाहिए। तिब्बती धर्मगुरु ने इस ओर भी संकेत दिए कि बौद्ध संस्कृति के संरक्षण के लिए भी यह जरूरी है कि हर बौद्ध अनुयायी बौद्ध अनुयायियों में ही पारिवारिक बंधन में बंधे।
उल्लेखनीय है कि धर्मशाला में पिछले पचास वर्षों से हजारों तिब्बति रह रहे हैं, लेकिन धार्मिक बंधनों के कारण अभी तक भी उनके हिमाचलियों के साथ वैवाहिक रिश्ते नहीं बन पाए हैं। शायद ही कोई ऐसा मामला होगा, जिसमें किसी तिब्बती महिला या पुरुष ने हिमाचली के साथ वैवाहिक संबंध बनाया हो। बौद्ध गुरू इस संबंध में समय- समय पर अपने अनुयायियों को निर्देश देते रहते हैं।
तिब्बती महिला संगठन की नेता नियमा लाहमों ने इस अवसर पर कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं जो इस बार दलाईलामा को अधिवेशन में सुनने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि तिब्बती समुदाय बहुत कम संख्या में है और दलाईलामा की इस चिंता को लेकर अधिवेशन में तिब्बती महिला संगठन ने यह प्रस्ताव पारित कर फैसला लिया है कि क्षेत्रीय व केंद्रीय संगठन मिलकर इस ओर प्रयास करेंगे। उनके अनुसार जिन परिवारों के तीन से अधिक बच्चे होंगे उनकी शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस व छात्रवृत्ति के रूप में सहायता की जाएगी।
उधर, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वीरवार को ही मंडी जिला के चंदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए टिप्पणी की कि- ”विकास के संसाधन सीमित हैं और आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। लोग बच्चे ऐसे पैदा कर रहे हैं जैसे चूहे पैदा करते हैं। समाज को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।”
हाल ही में कुछ हिंदु साधु- साध्वियों ने देश में हिंदुओं की संख्या बढ़ाने के लिए आह्वान किया था और कहा था, “हिंदुओं को पांच- पांच, छह- छह बच्चे पैदा करने चाहिए।“