उत्तरकाशी। उत्तराखंड जल विद्युत निगम की लापरवाही के कारण पिछले एक वर्ष से मल्ला के भेलाटिपरी में स्थित
बीते वर्ष जून माह में भागीरथी में आई बाढ़ के कारण इस परियोजना के आउटलेट पर मलबा जमा हो गया था, जिस कारण उत्पादन बंद कर देना पड़ा था। लेकिन उसके बाद निगम ने मलबा हटाने के इस मामूली कार्य की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया और अब परियोजना की टरबाइनें तथा अन्य मशीनरी जंक खा रही हैं। निगम ने परियोजना के आउटलेट हेड को भागीरथी तट से ऊंचा करने का निर्णय लिया था, लेकिन अभी तक इसका काम भी शुरू नहीं हो सका है। जानकारों के अनुसार इस साल के अंत तक भी इस परियोजना में विद्युत उत्पादन की कोई संभावना नहीं है।
यूजीवीएनएल के प्रबंध निदेशक जीपी पटेल से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि परियोजना के आउटलेट हेड को बदलने का डिजाइन आइआइटी रुड़की में तैयार हो रहा है। आउटलेट हेड बदलने के बाद ही विद्युत उत्पादन शुरू हो सकेगा।
विद्युत निगम के ड्रीम प्रोजेक्ट का भविष्य अधर में
उत्तरकाशी। असीगंगा नदी पर बन रही तीन छोटी जल विद्युत परियोजनाओं का भविष्य अधर में लटक गया है। कभी जल विद्युत निगम के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ये परियोजनाएं अब हाशिये पर डाल दी गई हैं। दो वर्ष पूर्व असीगंगा घाटी में कल्दी गाड, असीगंगा प्रथम व असीगंगा द्वितीय चरण परियोजनाओं का काम चल रहा था। इनमें से कल्दीगाड परियोजना की बैराज साइट पर काम शुरू हो चुका था, जबकि असीगंगा प्रथम चरण परियोजना का नब्बे फीसद काम पूरा हो गया था। इस परियोजना में बैराज, पॉवर चैनल पेनस्टॉक चेंबर व पॉवर हाउस तैयार हो गए थे, जबकि द्वितीय चरण परियोजना में बैराज साइट का काम पूरा होने के साथ पावर हाउस का काम भी शुरू हो चुका था, लेकिन तीन अगस्त 2012 को असीगंगा में आई बाढ़ से कल्दी गाड परियोजना में हुआ कार्य क्षतिग्रस्त कर दिया। असीगंगा प्रथम चरण परियोजना का बैराज पूरी तरह मलबे में दब गया और पावर हाउस को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा। यहां करोड़ों रुपये की मशीनें भी मलबे में दब गई थीं। जल विद्युत निगम ने दोबारा असीगंगा प्रथम व द्वितीय चरण में काम शुरू करवा दिया था, लेकिन 17 जून 2013 में आई बाढ़ ने फिर से निगम की कोशिशों पर पानी फेर दिया।
उसके बाद निगम ने असीगंगा घाटी की परियोजनाओं की ओर से पीठ ही फेर दी। अब स्थिति यह है कि परियोजनाओं की साइट पर पड़ी मशीनें जंक खा रही हैं। खंडहर हो चुका पावर हाउस, जर्जर हो रही पावर चैनल व बैराज साइट पूरी तरह वीरान हैं।
जल विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता मुकेश वर्मा का इस संबंध में कहना है कि बाढ़ से असीगंगा नदी पर परियोजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है, फिलहाल नदी का रुख सामान्य होने का इंतजार किया जा रहा है, उसके बाद ही सुरक्षित ढंग से काम शुरू किया जा सकेगा।